Q5. Q6. SECTION B निम्नलिखित अवतरणों की लगभग 150 शब्दों में सप्रसंग व्याख्या कीजिए: (a) जिसका मन अपने वश में नहीं है, वही दूसरे के मन का छंदावर्तन करता है, अपने को छिपाने के लिए मिथ्या आडंबर रचता है, दूसरों को फँसाने के लिए जाल बिछाता है । कुटज सब मिथ्याचारों से मुक्त है । वह वशी है । वह वैरागी है । 10 (b) (c) (d) (e) (a) (b) (c) CRNA-S-HND 10x5 = 50 कौन कहता है कि हम-तुम आदमी हैं। हममें आदमियत कहाँ ? आदमी वह है जिसके पास धन है, अख़्तियार है, इलम है । हम लोग तो बैल हैं और जुतने के लिए पैदा हुए हैं । संपूर्ण संसार कर्मण्य वीरों की चित्रशाला है । वीरत्व एक स्वावलंबी गुण है । प्राणियों का विकास संभवतः इसी विचार के ऊर्जित होने से हुआ है । जीवन में वही तो विजयी होता है जो दिन-रात 'युद्धस्व विगतज्वरः' का शंखनाद सुना करता है । परलोक में अधिक भोग का अवसर पाने की कामना से किया गया यह त्याग त्याग नहीं । तुम्हारी आशा और विश्वास के अनुसार यह त्याग भोग की आशा का मूल्य है, भोग की इच्छा है तो साधन रहते भोग करो । काव्य-साहित्य और अन्य कलाएँ मूलतः सृजनात्मक हैं, अतः उनमें राजनीति के कार्य-विभाजन जैसा कोई विभाजन संभव ही नहीं होता । कोई भी सच्चा कलाकार ध्वंसयुग का अग्रदूत रहकर निर्माण का भार दूसरों पर नहीं छोड़ सकता, क्योंकि उसकी रचना तो निर्माण तक पहुँचने के लिए ही ध्वंस का पथ पार करती है । 66 ' 'दिव्या' इतिहास नहीं, ऐतिहासिक कल्पना मात्र है।” इस कथन के आधार पर 'दिव्या' उपन्यास में इतिहास और कल्पना के समन्वय का विवेचन कीजिए । 'गोदान' की भाषा और उसके शिल्प की विशेषताएँ बताइए । 4 10 10 10 'भारत दुर्दशा' नाटक अंग्रेज़ी राज्य की अप्रत्यक्ष रूप से कटु और सच्ची आलोचना है । विश्लेषण कीजिए । 20 10 15 15
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