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हेमचन्टू, भट १ द्वितीय }3 और कविराज विश्वनाथ ने नाट्य को विवेचन करते हुए उपपकों के अन्तर्गत रासुक' नामक गेय-नाट्य का भी उल्लेख किया है। आचार्य हजारो प्रसाद द्विवेदी का अनुमान कि इन गेय. नाटयों का गीत भाग कालान्तर में क्रमश: स्वतंत्र अन्य अथवा प्राय काव्य हो गया और इनके चरित नायकों के अनुसार इनमें युद्ध-बर्णन का समावेश हुआ, वास्तविकता के समीप है ।। रास-काव्यों का प्रेम-काव्य और रासो-काव्यों को वीर-काव्य की श्रेणी में विभाजन कुछ संगत नहीं प्रतीत होता क्योंकि इस नियम की विपरीतता भी देखी जाती है, जैसे भरतेश्वर बाहुबलि रास' रास होते हुए भी वीर काव्य है और ‘उपदेशरसायनरास नीति-काव्य है तथा वीसलदेव रासो' रासो होकर भी प्रेम-काव्य है ।। प्राकृत और अपभ्रश के छन्द-ग्रन्थों में ‘रासा' नामक छन्द का उल्लेख भी पाया जाता है। सुप्रसिद्ध जर्मन विद्वान् डॉ० हरमन याकोबी ते लिखा है कि रासा' नागर अपभ्रश का प्रधान छन्द हैं ।५ नत्रीं-दसवीं शती के विरहाङ्क ने अपने ‘वृत्त जाति समुच्चयः' नामक छन्द निरूपक ग्रन्थ में लिखा है कि यह रचना जिसमें अनेक दोहा, मात्रा, रड्डी और ठोस छन्द पाये जाते हैं, उले ‘सा' कहा जाता हैं।६ दसवीं शताब्दी के स्वयम्भु देव ने अपने ही स्वयम्भू: इङल्द: काभक अन्ध में लिखा है कि वक्षः, छ डणिया, अडियो तथा अन्य रूपों के कारवाई ‘साध' जलन c lth +++++ + on = == 0 १, गैथं डोभ्वकाभागप्रस्थानशिकाणिप्रेरणरमिक्रीडहल्लीक । रासकट्ठीऔगदितगिकाव्यादि । ६-४, काव्यानुशासनम् । १, काव्यानुशासनम् । ३, नाटिका चोटकं गोष्ठी सइक नाट्यासकम् ।। प्रस्थानोल्लाघ्यकाव्यनि प्रेङ्ण रासकं तथा ।। ४ । संलापकं श्रीरादितं शिल्पकं च विलासिका । . . . दुर्भल्लिका प्रकरणी हल्लीशी भाणिकेत चे }} ५,परि० ६, साहित्य दपेण ।। ४, हिंदी साहित्य का श्रादिकाल, पृ० ५६-६१ ; . ५. भूमिका ऋ० १७१, भविस्यत्तहह, इएवाल, ( जर्मन संस्करण ');... ६, अडिलाह दुवह एहि व भत्ता र डडहि तह ठसाहिं . बहुएहि ॐ इन्नई सो अण्इ रासो म ।। ४०३८