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{ २२६ } डॉ० दशरथ शर्मा का ( अधूरे प्र.३) ललितविग्रहराज' नाटक के आधार पर अनुमान है कि दिल्ली के अन्तिम मर शासक ने अपना राज्य बीसलदेव चतुर्थ को अपनी कन्या कें, दहेज में दे दिया था: यह कथा रासो के परवत संशोधन कतोिं द्वारा उनके छोटे भाई सोमेश्वर के साथ जोड़ दी गई है। उन्होंने बीकानेर-फोर्ट लाइब्रेरी की रायसिंह जी के समय की लगभग सं० १६५७ वि० लिखित ४००४ छुन्द परिमाग वाली रासो की इस्तलिखित प्रति की प्रामाणिकता की विवेचना करते हुए यह भी लिखा है---- ‘सोमेश्वर की स्त्री को अनंगपाल की पुत्री अवश्य बतलाया गया हैं । परन्तु संभव है कि वे पृथ्वीराज की विमाता हों । दिल्ली के वीसलदेव के अधीन होने पर भी तोमर राजाओं का बह रहना संभ है। कविराव मोहनसिंह दिल्ली में कुतुबद्दीन ऐबक की मसजिद के अहाते में पड़े हुए लहस्तम्भ के लेख “संवत् दिल्ली ११०६ अनंगपाल वहीं का अर्थ दिल्ली संवत् अथवा पंड्या जी के अनंद विक्रम संवत् ११०६ में अनंपाल द्वारा दिल्ली बसाना' करके उक्त संवत् में ११ वर्प जोड़कर वि० सं० १३०० में अनंगपाल तोमर को दिल्लीश्वर होना मानते हैं और जिनाल 8. « But is it not possible that Delhi might have been actually given in Dowry by the last Tomar ruler of the place to Visaldeva, the half brother of Somesh yar, from whom the story might have been transferred to Someshvar by some late redactor of Raso ? We learn from the Lalitvigraharajanataka that Visaldeva IV had actually determined to march tawards Indraprastha, the ruler of which had a daughter who had fallen in love with Visaldeva. Unfortunataly, the drama as we bave it now is not complete." The Age and the Historicity of the Prthviraj Raso, The Indian Historical Quarterly, Vol. XVI, Dece mber 1940, २, पृथ्वीराज रासो की एक प्राचीन धलि और उसकी प्रमाणिकला, ना० ० प०, कार्तिक सं० १६६६ वि०, पृ० २७५-८२ ;