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( २३० ) मारकर पृथ्वीराज के मरने का समाचार पाकर, सामंत-मण्डली ने शाही सेना से छेड़छाड़ करने की मंत्रणा की और इस निश्चय के फलस्वरूप राजा रयनसो ने चढाई कर दी तथा शत्रु-सेना को भगाकर लाहौर पर अधिकार कर लिया; इसकी सूचना राज़नी पहुँचने पर वहाँ की सेना ने आगे बढ़ते हुए दिल्ली-दुर्ग का घेर डाल दिया और अपने अपूर्व पौरुष के परिचय देते हुए रयनसी ने वर-दि वाप्ति की ।।। झा जी का कथन है कि पृथ्वीराज के पुत्र का नाम हम्मीर महाकाव्य में गोविन्दराज दिया है, जो उनकी मृत्यु के समय बालक था, तथा फारसी तवारीख़ों में उसका नाम गोला या गोदा पढ़ा जाता है, जो फारसी वर्णमाला के अपूर्णता के कारण् गोविंदराज का बिगड़ा हुआ रूप ही है । एरन्तु सुर्जनचरित्रसहाकाव्य'४ में नृथ्वीराज के पुत्र का नाम बिना उसकी माता का उल्लेख किये) प्रह्लाद दिया है जिसका पुत्र गोविंदराज बतलाया गया हैं । झोझा जी ने लिखा है कि सुलतान शहाबुद्दीन ने पृथ्वीराज के पु गोविंदाज को अपनी अधीनता में अजमेर की गद्दी पर बिठाया जिससे उनके भाई हरिराज ने उसे अजमेर से निकाल दिया और वह रथुम्भौर में रहने लगा; हरिराज का नाम नृथ्वीराजरासो में नहीं दिया हैं परन्तु पृथ्वीराजविजय, प्रबन्धकोश के अन्त की वंशावली तथा हम्मीरसहाकाव्य में दिया है और फारसी तवारीख़ों में हीराज या हेमराज मिलता है, जो उस के नाम का बिगड़ा हुआ रूप है । परन्तु सुर्जनचरित्रमहाकाव्य' में हरिराज के स्थान पर मानिक्यराज मिलता है। बीकानेर-फोर्ट-लाइब्रेरी की ४००४ छन्द प्रमाण वाली रास की प्रति में दाहिमी से पृथ्वीराज के विवाह का उल्लेख नहीं है और साथ ही शशिवृता एवं हंसावती आदि अनेक कन्याओं से भी उनके विवाह नहीं मिलते ७ इन १. ॐ० ५३-२१३ ; . २, तत्रास्ति पृथ्वीराजस्य प्रारू पित्रात निरसितः । पुत्र गोविन्दराजाख्यः :स्वसामथ्यत्तिवैभव: ।। २४, सर ४ ; ३. पृथ्वीराज रासो का निर्माण काल, कोबोत्सव स्मारक संग्रह, पृ० ४८ ; ४. श्लोक-१-३, सर्ग ११ ।। ५, ३० ए० एस० बी०, सन् १९१३ ई०, पृ० २७०-७१ ; ६, इलियट, हिस्ट्री व इंडिया, जिल्द २, ४० २१६ ; ६, पृथ्वीराज रासो की एक प्राचीन प्रति और उसकी प्रामाणिकता, डॉ दशरथ शर्मा, T० १० १०, कार्तिक १६६६ वि०, पृ० २७५-८२ ;