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१ ३२ ) कुंडलियो बर मुसाफ ततार पाँ, मरन कित्ति तन बान । में भेजे लाहौर धर, लैहूँ सुनि सु बिहान् ।। लैहूँ सु निसु विहान, सुनै ढिल्ली सुरतांनं ।। लुथि पार पुडीर, भीर परिहै चौहान।। दुचित चित्त जिन करहु, राज आखेट उथापं ६ ।। गज़नेस आयस्स, चले सब छूय मुसाकं ।।” छे०१७। रू० १७ ।। भावार्थ-६० १६---म्लेक्ष [ तातार भारूफ खाँ 1 ने ( तुम्हारे विपक्ष में दी हुई अपनी ) सलाह की सत्यता प्रदर्शित करने के लिये हाँथ में पान और सुपारी ली फिर कुरान के वाक्य पढे । | रू० १६--तातार खाँ ने पवित्र कुरान की शपथ ले कर कहा कि रण का वेश धारण कर फिर मरना क्या ( मरने को क्यों डर )। मैं लाहौर नगर को नष्ट कर तथा अधिकृत कर चौबीस घंटे में दिल्ली भी ले लूगा । है सुलतान सुनो, पंडीर की लोथ गिरा कर चौहान पर आक्रमण होगा [ यामैं लाहौर नगर को नष्ट कर अधिकृत कर ले गई और सुलतान सुनेगी कि दूसरे दिन मैंने दिल्ली भी ले ली है। पुंडीर की लोथ पार करके चौहान पर अाक्रमण होगा ] । आप अपने चित्त में किसी प्रकार की शंका न करें ( क्योंकि ) राजा [ पृथ्वीराज ] अखेट खेलने में संलग्न है। { तब } शाह गोरी ने ( चढ़ाई बोल देने की ) अज्ञा दी और सब लोग पवित्र पुस्तके [ कुरान ] को छू कर चल दिये ।। । सूचना---यहाँ चंद पुंडीर का पुत्र समाप्त हो जाता है ।। शब्दार्थः---दूहा--१६-प्रति वेली फल = यहिबेल या नाग नेल को । फल = सुपारी । हथ्थ< सं० हस्त = हाँथे । तौ = तो = तुम्हारे (अपर दी हुई सलाह) । मेच्छ - म्लेक्ष ( यहाँ तातार मारूफखाँ के लिये आया है)। मसूरति<(अ० ११r==सलाह । कुरानी बार-कुरान की (५५) इबारत । • रू० १७-–मुसाफ <अः is = पुस्तक था पृष्ठ- जो धर्म पुस्तक कुरान के लिये प्रयुक्त होता है ।) उन्होंने जिहाद करने के लिये कुरान की शपथ ली । [इस कुंडलिया में दो स्थानों पर मुसाफ आया है। पहिले ( १ ) एo----सुनाफे ( ३न०-नन; ए० कृ० को०-वन १३ ) To-मैं (४) न०-~-जैहैं (१) ना०--- च नं (६) ०-थाने (७) न०-~-~-छु ।