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जहगीर पान जहगीर बर, षां हिंदू बर बर बिहर। पच्छिमी षांन पान सह, रचि उपभै हरबल गहर | छं० ४३ । रू० ३६ । | कवित रचि हरवल पट्टान, षांन इसमांन रु गऽषर । केली षां कुंजरी, साह सारी दल पठषर ।। पां भट्टी महनंग, धान पुरसानी बब्बर । हवसषांन हबसी हुजाब, ग्रब्व आलम्म जास बर ।। तिन अग्ग अट् गजराज अर, सद् सरक्क पट्टतिनां । पंच बिन पिंड जो उपजै, (त) जुद्ध होइ लजी बिना ।।छं०४४। रू०४०। । भावार्थ----रू०३६–सुलतान ने हरावल रचा और सुलतान के शहज़ादे लाँ-पैदा-महमूद ने प्रातःकाल ही वीरों को ( कतार में ) बाँध लिया ! बीस खेंजरों को खींचने वाला ख़ाँ मंगोल लल्लरी, चार तलवारों का बाँधने वाला तथा बाणों से शत्रुओं के प्राण खींचने वाला सब्वाज, बिजयी जहाँगीर , दगाबाज़ हिन्दू बाँ, पश्चिमी वाँ तथा पठान हरावल रचकर उपस्थित हुए। रू ४०—इसमान ख़ाँ के पठानों और गधों (ख) के हावल रचते ही केली-बाँ-केजरी ने शाह की ज्ञिरह बलर से सुसज्जित सेना का संचालन किया } ख़ाँ भट्ठी मेहनंग, वाँ खुरासानी बब्बर और संसार में सबसे अभिमानी हुबशियों का सरदार हबश वाँ वहाँ थे । उनके आगे अठ श्रेष्ठ राजराज थे जिनकी कनपटियों से मद जल श्रवित हो रहा था । यह शरीर यदि पंचतत्वों का मोह छोड़ दे तभी युद्ध में लज्जा बच सकेगी (या तभी योद्धा की लज्जा की रक्षा हो सकेगी) । [यदि चार तत्वों के बिना कोई वस्तु बन सकती है तभी बिना लज्जित हुए युद्ध हो सकता है---अर्थात् इस युद्ध में लज्जा वचना कठिन है। धोनीले । | शब्दार्थ-रू०३६---घां-पैदा-महमूद---यह सुलतान गौरी के शाहज़ादे का नाम है । वीर=सैनिक । अँध्यो = कतारमें बाँधकर खड़ा किया । विहानं= प्रात:काले । टंकी = तलवार' ( टंक ) या खंजर / घंचै = खींचने वाला या बाँधने बाला | चौतेगी = चार तलवारें वाँधने वालो । बन ८ बारा । अरि प्रान सु अंचै = उनसे शत्रुओं के प्राश खींचने वाला है जहीर पान = जहाँगीर त्राँ । जहगीर<जहाँगीर - विश्व विजयी | हिन्दू घाँ----ख्वीरज़म और बुरासाने के सुलतान तकिश की पता और मलिकशाह का ज्येष्ठ पुत्र था। उसने अपने चाचा सुलतान महमूद से बुरासान का सूबा लेना चाहा (१) हा०—सडी (२) ना०---बल (३) भा०—उपजै ।