भावार्थ ० ५१-चार भागों को पूर्ण कर शाह ने तीस अफ़सर नियुक्त किये जिनके साथ विश्व में अभिमानी आलम ख़ाँ, निर्वासित उजबक वाँ, उपनायक छोटा मारूफ और पहलवान दुस्तम खाँ थे। शाह ने अपने इन सैनिकों के साथ (या--अपनी सेना लेकर) हिंदुओं पर कठिन चढ़ाई कर दी। है । शोर मचाते हुए उसने अपनी सेना को आगे बढ़ाया है और इस प्रकार चिनाब नदी पार की है।” दूत की यह बात सुनकर साँभल के शूर, सामंतों के स्वामी और श्रेष्ठ वीर (पृथ्वीराज) का. ध फूट पड़ा।
रू० ४२—सब सामंत क्रोधित हो उठे और पृथ्वीराज रोष (क्रोध) से भर गये । इस अरसे तक चंद पंडीर ने गौरी की सेना को डटकर रोका। |
शब्दार्थ-–० ४१–तभा < फा० • (तमाम) = पूरा, कुल । चौं–चार । साहि<शाह' (शौरी) । (रासी की कुछ प्रतियों में चौ” के स्थान पर तौ' पाठ भी मिलता है । गोरी की सेना के पाँच भाग थे और चार का वर्णन हो चुका है अतःच 'पाठ अधिक उचित होगा । ह्योर्नले तथा ग्राउज़ ने भी यह पाठ स्वीकार किया है ]। रष्षि= रखकर। तीस < प्रा० तीसा, तीस < सं० त्रिंशत् । फिरस्ते<फी०=x5= देवदूत या दूत | निरस्ते== निर्वासित १ गुमान<फा० ...*=राय, विचार। आलम<अ० • ६ = संसार । आतम गुमान=संसारका गई; विश्व में सबसे अधिक अभिमानी । लहु<लघु छोटा । गुसस्तफा०४ १.१=एजेन्ट, उपनायक । वजरंगी= वज्र के समान अंगों वाला (अर्थात् पहलवान) । साहिँ बज्जै रन जंगी =शाह ने जेय बजा दी अर्थात् कठिन चढ़ाई कर दी । सोरा रच्यौ=शोर करते हुए। सोराफा , } उत्तरयौ = उतरा, पार किया ! संभले सूर = साँभर की शुरमा शूर सम्हल गये। रोस<सं० रोष, क्रोध । वीर वीर=वीरों में वीर (अथत् पृथ्वीराज) । दुर्यौ = फूट फड़ा । जंगी= ज़बरदस्त । बृजे रन जंगी- ज़बरदस्त र अज्ञा दिया अर्थात् भयानक चढ़ाई कर दी।
रू ४२–तमस तमसि = क्रोध युक्त हो । रोष भरिंग रोष में र गये । रुपि= जमकर, डटकर । गोरी साज़ = शोरी का दल ।।
नोट:---रू० ४१--करि तमाय चौ साहिं =the Shah forrned four squadrons." Growse. Indian Antiquary. Vol III.
चिन्हाव [चनाव या चिनवि<फा० चिना=(चीनी + अरब)-पंजाब की पाँच नदियों में से एक जो लद्दाख़ के पर्वतों से निकल कर सिंध में जो भिरी है । यह प्राथ; ॐ सौ-सील लम्बी है। हिमालय के चन्द्रभाग नामक खंड से निकलने के कारण इसका नाम संस्कृत में चन्द्रभागा था।