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पृष्ठ:Satya Ke Prayog - Mahatma Gandhi.pdf/३५९

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तो भी मुझे नहीं याद पड़ता कि सीकर विरोध कभी उन्होंने किया हो । जव-- जव में उपर न करता तभी तब उन्हें समझाता और उन्हींसे कबूल करता कि कामके भन्न खेलना अच्छी आदत नहीं । वे उस समय तो समझ जाते; पर दूसरे ही क्षर भूल जाते । इस तरह काम चलता रहता; परंतु उनके शरीर बनते जाते थे । । | इसमें शायद ही कोई बीमार होता । कहना होगा कि इसका बड़ा कारण था यहाँकी बका अौर अच्छा लय नियमित भोजन । शारीरिक शिक्षाके लसिलेमें ही झारिक व्यायकी शिक्षा का भी सर कर लेता हैं । इदा यह था कि वो कुछ-न-कुछ उपयोगी धंधा सिखाना चाहिए । इसलिए नि० केलवे ट्रैफिट अठ' चप्पल गांठना सीख आये थे । उनसे मैंने सीख श्रौर मैंने उन बालकको सिखाया, जो इस हुनरको सीखनेके लिए तैयार थे । সি০ লক্ষী লখী হস্কা স্বী সুস্থ স্বামৰ দ্বা স্ত্রী আন্দল কান जानेवाला एक साथी भी था। इसलिए यह काम भी थोड़े-बहुत अंशमें सिखाया जा । रसोई बनाना तो लगभग सब ही लड़के सीख गये थे । ये सब काम इन बालकों के लिए नये थे । उन्होंने तो कभी स्वप्नमें । भी यह न होबा हा कि ऐसा काम सीता पड़ेगा, दक्षिण अफ्रीका में हिंदुस्तानी बालकों केदले प्राथमिक अक्षर ज्ञानकी ही शिक्षा दी जाती थी । टॉल्स्टाय : शमसे पहले ही यह रिवाज़ डाला था कि जिन कामको हम शिक्षित लोग न करे वह बालकोंसे न कराया जाय और हमेशा उनके साथ-साथ कोई-न-कोई : शिक्षक का करती हैं इससे ३ बड़ी उसके साथ सीख सके । ग्य र " इ इ अा इसके बाद । अक्षर-शिक्षा * में हमने अह दे लिया कि शारीरिक शिक्षा और उसके साथ छ र सिखानेका काम टॉल्स्टाग-प्रथम किस तरह शुरू हुआ है. यद्यपि इस काम में इस तरह नहीं कर सका कि जिससे मुझे संतोष होता फिर