पृष्ठ:Satya Ke Prayog - Mahatma Gandhi.pdf/४५८

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अध्याय २३ : खेड़ा में सत्याग्रह ४४१ सरोंका तबका बिलकुल हलका व्यवहार त्र्प्रब तो त्र्प्रसंभव-सा जान पड़ता है । लोगोंकी मांग ऐसी साफ त्र्प्रौर मामूली थी कि उसके लिए लड़ाई लड़नेकी भी जरूरत नहीं होनी चाहिए । यह कानून था कि त्र्प्रगर फसल चार त्र्प्राने या उससे भी कम हो तो उस साल लगान माफ होना चाहिए; किंतु सरकारी त्र्प्रफसरोंक अनुमान चार आनेसे त्र्प्रधिकका था । लोगोंकी औरसे इसके सबूत पेश किये गये कि फसल चार आनेसे कम हुई है । मगर सरकार मानने ही क्यों लगी ? लोगोंकी त्र्प्रौरसे पंच बनानेकी मांग हुई । सरकारको वह त्र्प्रसह्य लगी । जितनी विनय की जा सकती थी उतनी कर लेनेके बाद, साथियोंके साथ सलाह करके, मैंने लोगोंको सत्याग्रह करनेकी सलाह दी । साथियोंमें खेड़ा जिलेके सेवकोंके अलावा खास तौरपर श्री वल्लभभाई पटेल, श्री शंकरलाल बैंकर, श्री त्र्प्रनसूयाबहन, श्री इंदुलाल कन्हैयालाल याज्ञिक, श्री महादेव देसाई वगैरा थे । वल्लभभाई त्र्प्रपनी बड़ी और दिनों-दिन बढ़ती हुई वकालतका त्याग करके आये थे । यह भी कहा जा सकता है कि उसके बाद वह फिर कभी जमकर वकालत कर ही नहीं सके । हमने नड़ियाद-अनाथाश्रममें डेरा जमाया । अनाथाश्रममें ठहरनेमें कोई विशेषता नहीं थी; किंतु इसके समान कोई दूसरा खाली मकान नड़ियादमें नहीं था, जहां इतने त्र्प्रधिक त्र्प्रादमी रह सकें। अतमें नीचे लिखी प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर लिये गये-- “ हम जानते हैं कि हमारे गांवमें फसल चार त्र्प्रानेसे भी कम हुई है । इसलिए हमने अगले सालतक कर वसूल करना मुल्तयी रखनेकी त्र्प्रर्जी सरकार को दी है; मगर फिर भी लगानकी वसूली बंद नहीं हुई है, इसलिए हम नीचे सही करनेवाले प्रतिज्ञा करते हैं कि इस सालका सरकारका पूरा या बकाया लगान त्र्प्रदा न करेंगे; किंतु उसे वसूल करनेके लिए सरकार जो-कुछ कानूनी कार्रवाई करे उसे करने देंगे और उससे होनेवाला कष्ट सहेंगे । यदि इससे हमारी जमीनें जब्त होंगी तो वह भी होने देंगे; किंतु त्र्प्रपने हाथों लगान चुकाकर, झूठे बनकर, हम स्वाभिमान नहीं खोएंगे । त्र्प्रगर सरकार दूसरी किस्ततक बकाया लगान वसूल करना सभी जगह मुल्तवी कर दे तो हममें जो लोग समर्थ हैं वे पूरा या बकाया लगान चुकानेको तैयार हैं। हममें जो समर्थ हैं उनके लगान न देनेका कारण