पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/११९

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सच्चे खिष्टियान को आत्मिक गति । १११ १०३ एक सौ तीसरा गीत। 8s. से मैं हाऊ खलाम १ मैं पहिना चाहता लिबास मुहब्बत फरोतनी का गुनाह खलासी त बखश से ईसा और पाऊं मैं तेरी तशबीह नारास्त होके हाऊं रास्तबाज़ साथ तेरे है रास्तो मसीह सिर्फ तुझ पर मैं करूं लिहाज़ । २ तू मुझ पर खास मुहर कर दे बख़श मुझे वह ख़ास नया नाम जो मिलेगा फ़क़त तुझ से और रहेगा मेरा मुदाम में तुझ मैं नित रहूं फलदार खुदाया तू मुझे पाक कर दे मुझे रूह पाक के आसार नहीं तो मैं रहूं बेबर ॥ ३ पाक रूह तू दिल मेरे में आ कि फिर मैं न होऊं गुलाम आज़ादगी मेरी फ़रमा गुनाह से दे मुझे आराम