पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/१६

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परमेश्वर की स्तुति । ८ आठवां गीत । सारंग दीनदयाल सकल वर दाता दे यश गावन को उपदेशा निथरे नीर अगम नद नाई तार दया जल बहत हमेशा वाते तन मन कुशल मिलत है धन्य जगतपालक परमेशा शठ अपराधी नर तारन को सेवक का प्रभु लोया भेपा दीनन संग संकट पथ धारा श सहित सहि लाज कलेशा निज जन अन्तर विमल करन को प्रभु तोहे शक्ति विशेशा तोर अात्मा गुण तिन चित में दिवस जात सम करत प्रवेशा तब यश मरत भुवन में हावे सरगभुवन जिमि होत अशेशा आश्रित मुख निज भजन करावा टारि कुटिल मन दुर्मति लेशा ॥ क्रश