पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/५३

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प्रभु यम खोष्ट। ४५ ४३ तेंतालीसवां गीत । ग़ज़ल पोश की मुसीबत जिस दम तुम्हे मुनाऊं श्शांखों सेतो मैं नाम क्योंकर नहीं बहाऊ दुशमन जब उस को पकड़े वेश्यावरू कैसे किये यो मानिन्द चोर की बांधके उसे शामिल अपने लिये हाय हाय वे उसे घसे नौ तमांचे मारे खींचके रखा था उसके सिर पर कांटों के ताज को सज के नरकट के नल को लेके वे सिर पर उस के मारे हाय हालत उस को देखा जो खुदा के थे दुलारे मुंह पर भी उस के शूके और ठठे में उड़ाए बुराइयां उस को करके सलीब को तत्र धराए और मारने को ले जाके कपड़े भी सब उतारे हाय हाय अफसोस की जा है लोगों ने ठठु मारे लोहे की मेखें ठोकके हाथ पानओं को उस के फोड़े सलीव को झटका देके बंद बंद उन्हों ने तोड़े छः घंटे पूरे ग्रोश रहे इस सखत अज़ाब में तब मरके कामिल किया सब कुछ नजात के वाब में हाय हाय यह क्या अजीब है गुनाह तो था हमारा पर मात रसीदः हुआ खुदा का बेटा प्यारा ईमान अव उस पर लावै सब लोग जो सुननेवाले महबव ओ शाफ़ी जान के भरोसा उस पर डालें ॥