पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/८३

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सुसमाचार । ७५ दीनहीन सरनागत जेई तेहि दिया सुखरामी हम पायिन को उधारो प्रभुजी कृपा दृष्टि निहारी औरन को प्रभु और भरोसा हम को शरन तुम्हारी॥ भैरो ०१ एकहत्तरवां गीत । मन मन्दिर मार प्रभु यीश कीजे अपनो बासा जी यही अपावन मन्दिर माझे शत्रुन डारयो पासा जी प्रभु तुम ताको काटि दुरावा दिखाय दंडक त्रासा जी चौदिश घेरे बिषय बिरोधी मन बच काया ग्रासा जी काह करों किछु मझत नाहीं तेरो नानक आसा जी जोगन जो पैहों प्रभु तेरो करहु दया परगासा जी बिपति सहयो तुम दुखितन कारन मेरो यही दिलासा जी