पृष्ठ:Songs and Hymns in Hindi.pdf/९९

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सच्चे खिष्टियान को यात्मिक गति । C.M. ८७ सत्तासीवां गीत। १ मसीहा गर मेरा हो तो दीन ओ दुनया की हर अच्छी निअमत बन्दे को वेशुबह मिलेगी। २ मसीहा गर त मेरा ही जो मुझे है ज़रूर या दुःख या सुख या जो कुछ हो सब मुझे है मनजर ॥ ३ मसीहा गर त मेरा हा सतावे भी शैतान तो उस से डरूं काहे को मैं रहता बनामान । ४ मसीहा गर खुशदिल मैं रहूंगा अज़ीज़ भी मुझे छोई तो मैं चुपका सहूंगा ॥ ५ मसीहा तू मेरा हा क्या डरूं मौत से भी तब खौफ न होगा बंदे को कि मौत है ज़िन्दगी तू मेरा हो गर