भारत का संविधान
[१ दिसम्बर, १९५७ तक यथा रूपभेदित]THE CONSTITUTION OF INDIA
(As modified up to the Ist December, 1957)
प्राक्कथन
भारतीय संविधान-सभा ने एक प्रस्ताव द्वारा मुझे यह अधिकार दिया था कि मैं, अध्यक्ष की हैसियत से, संविधान का हिन्दी अनुवाद, २६ जनवरी, १९५० ई॰ तक, तथा, उस के बाद यथाशीघ्र अन्य भाषाओं में भी इस के अनुवाद प्रकाशित करा दूं। मझे यह वांछनीय प्रतीत हुआ कि विभिन्न भारतीय भाषाओं में संविधान के जो अनुवाद तैयार किये जायें उन सब में, अगर सम्भव हो तो, संविधान में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्दों के लिये जिन का कि विशेष संविधानिक या कानूनी अर्थ है, एक ही पर्याय प्रयोग में लाये जायें। इस लिये मैंने भाषा-विशेषज्ञों का एक सम्मेलन बुलाया कि वह, जहां तक सम्भव हो, ऐसे पारिभाषिक शब्द प्रस्तुत करें जो प्रायः सर्वत्र प्रयुक्त होते हों और जिन को हम विभिन्न भाषाओं में निकलने वाले संविधान के अनुवादों में प्रयुक्त कर सकें और अन्ततोगत्वा जिनको हम अन्य सरकारी, कानूनी, अदालती और शासन सम्बन्धी कामों में भी प्रयुक्त कर सकें। यह सम्मेलन मध्य प्रांतीय विधान-सभा के अध्यक्ष श्री घनश्यामसिंह गुप्त के सभापतित्व में समवेत हुआ। इस में अनुसूची ८ में दी हुई सभी भाषाओं के प्रख्यात विद्वान प्रतिनिधि स्वरूप सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन ने संविधान में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दों का एक कोष तैयार किया और अनुवाद-समिति ने, जिसे कि संविधान के हिन्दी रूपांतर का काम सौंपा गया था, हिन्दी अनुवाद तैयार करने में केवल इन्हीं शब्दों का प्रयोग किया है।
संविधान के इस अनुवाद में प्रयुक्त कई शब्द, संभव है, कुछ लोगों को फिलहाल बिल्कुल नये से प्रतीत हों। पर इस सम्बन्ध में यह याद रखना चाहिये कि ये शब्द भारत की अधिकांश भाषाओं के प्रतिनिधियों को स्वीकार्य हैं और इस लिये देश के अधिकांश लोगों को या तो अभी या निकट भविष्य में अवश्य बोधगम्य हो जायेंगे। कुछ शब्द इस में ऐसे भी मिलेंगे जिन का प्रयोग उस से कुछ भिन्न अर्थ में हुआ है जिस में कि आमतौर पर इनका प्रयोग हिन्दी में हुआ करता है। मसलन 'जामिन' शब्द इस में 'bail' के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है किन्तु हिन्दी में 'जामिन', से साधारणतः वह व्यक्ति समझा जाता है जो किसी की जमानत के लिये खड़ा हो। किन्तु यहां इस शब्द को भिन्न अर्थ में रखना इस लिये जरूरी समझा गया कि अधिकांश भारतीय भाषाओं में 'जामिन' शब्द 'bail' के अर्थ में प्रयुक्त होता है। प्रस्तुत अनुवाद में आने वाले नये शब्दों में से कुछ तो ऐसे हैं, जो भाषा-सम्मेलन के निर्णय के फल स्वरूप, जिसने कि अंग्रेजी के पारिभाषिक शब्दों के पर्याय निश्चित करने के लिये विभिन्न भाषाओं के शब्दों पर विचार किया, यहां लिये गये हैं। उदाहरण के लिये 'पंचाट' शब्द काश्मीरी जुबान में 'award' के लिये प्रयोग में आता है और चूंकि यह शब्द सम्मेलन के सदस्यों को मान्य हुआ इस लिये इस अनुवाद में 'award' का अनुवाद 'पंचाट' किया गया है। आशा है कि जब भारतीय संघ और उस के अंगभूत राज्यों में सरकारी कामों के लिये हिन्दी बरती जाने लगेगी तो ये शब्द, जिन का कि इस अनुवाद में प्रयोग हुआ है, सरकारी कामों के लिये प्रामाणिक हिन्दी शब्द माने जायेंगे।
नई दिल्ली : | राजेन्द्र प्रसाद |
२४ जनवरी, १९५०. |
भारत का संविधान
- संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, १९५१
- संविधान (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, १९५२
- संविधान (तृतीय संशोधन) अधिनियम, १९५४
- संविधान (चतुर्थ संशोधन) अधिनियम, १९५५
- संविधान (पंचम संशोधन) अधिनियम, १९५५
- संविधान (षष्ठ संशोधन) अधिनियम, १९५६
- संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६
टिप्पणी—भारत का संविधान कुछ अपवादों और रूपभेदों के साथ संविधान (जम्मू और कश्मीर को लागू होना) आदेश, १९५४ (सी॰ ओ॰ ४८, तारीख १४ मई, १९५४) द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू कर दिया गया है। ऐसे अपवाद और रूपभेद समुचित भागों, अनुच्छेदों और खंडों की पाद टिप्पणियों में दिये गये हैं।
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
समता–अधिकार | |
१४विधि के समक्ष समता | ६ |
१५धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध | ६ |
१६राज्याधीन नौकरी के विषय में अवसर-समता | ७ |
१७अस्पृश्यता का अन्त | ७ |
१८खिताबों का अन्त | ८ |
स्वातन्त्र्य–अधिकार | |
१९वाक्-स्वातन्त्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण | ८ |
२०अपराधों के लिये दोष-सिद्धि के विषय में संरक्षण | ९ |
२१प्राण और दैहिक स्वाधीनता का संरक्षण | ९ |
२२कुछ अवस्थाओं में बन्दीकरण और निरोध से संरक्षण | १० |
शोषण के विरुद्ध अधिकार | |
२३मानव के पण्य और बलात्श्रम का प्रतिषेध | ११ |
२४कारखाने आदि में बच्चों को नौकर रखने का प्रतिषेध | ११ |
धर्म–स्वातन्त्र्य का अधिकार | |
२५अन्तःकरण की तथा धर्म के अबाध मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता |
११ |
२६धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध की स्वतन्त्रता | १२ |
२७किसी विशेष धर्म की उन्नति के लिये करों के देने के बारे में स्वतन्त्रता | १२ |
२८कुछ शिक्षा-संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा अथवा धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के विषय में स्वतन्त्रता |
१२ |
संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार | |
२९अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण | १२ |
३०शिक्षा-संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यकों का अधिकार | १२ |
सम्पत्ति का अधिकार | |
३१सम्पत्ति का अनिवार्य अर्जन | १२ |
३१कसम्पदाओं आदि के अर्जन के लिये उपबन्ध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति | १४ |
३१खकुछ अधिनियमों और विनियमों का मान्यकरण | १५ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
सांविधानिक उपचारों के अधिकार | |
३२ इस भाग द्वारा दिये गये अधिकारों को प्रवर्तित कराने के उपचार | १६ |
३३ इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों के लिये प्रयुक्ति की अवस्था में, रूपभेद करने की संसद की शक्ति |
१६ |
३४ जब किसी क्षेत्र में सेना-विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा दिये गये अधिकारों पर निर्बन्धन |
१६ |
३५ इस भाग के उपबन्धों को प्रभावी करने के लिये विधान | १७ |
भाग ४ | |
राज्य की नीति के निदेशक-तत्त्व | |
३६ परिभाषा | १९ |
३७ इस भाग में वर्णित तत्त्वों की प्रयुक्ति | १९ |
३८ लोक-कल्याण की उन्नति के हेतु राज्य सामाजिक व्यवस्था बनायेगा |
१९ |
३९ राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति-तत्त्व | १९ |
४० ग्राम-पंचायतों का संघटन | १९ |
४१ कुछ अवस्थाओं में काम, शिक्षा और लोक-सहायता पान का अधिकार |
२० |
४२ काम की न्याय तथा मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति-सहायता का उपबन्ध |
२० |
४३ श्रमिकों के लिये निर्वाह-मंजूरी आदि | २० |
४४ नागरिकों के लिये एक समान व्यवहार-संहिता | २० |
४५ बालकों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबन्ध | २० |
४६ अनुसूचित जातियों, आदिमजातियों तथा अन्य दुर्बल विभागों के शिक्षा और अर्थ सम्बन्धी हितों की उन्नति |
२० |
४७ आहार पुष्टि-तल और जीवन-स्तर को ऊंचा करने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य |
२० |
४८ कृषि और पशुपालन का संघटन | २० |
४९ राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों, स्थानों और चीजों का संरक्षण | २० |
५० कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण | २१ |
५१ अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा की उन्नति | २१ |
भाग ५ | |
संघ | |
अध्याय १––कार्यपालिका | |
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति | |
५२ भारत का राष्ट्रपति | २२ |
५३ संघ की कार्यपालिका शक्ति | २२ |
५४ राष्ट्रपति का निर्वाचन | २२ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
५५ राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति | २२ |
५६ राष्ट्रपति की पदावधि | २३ |
५७ पुननिर्वाचन के लिये पात्रता | २३ |
५८ राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिये अहंताएं | २३ |
५९ राष्ट्रपति के पद के लिये शर्तें | २४ |
६० राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान | २४ |
६१ राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया | २४ |
६२ राष्ट्रपति-पद की रिक्तता-पूर्ति के लिये निर्वाचन करने का समय तथा आकस्मिक रिक्तता-पूर्ति के लिये निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि | २५ |
६३ भारत का उपराष्ट्रपति | २५ |
६४ उपराष्ट्रपति का पदेन राज्य-सभा का सभापति होना | २५ |
६५ राष्ट्रपति के पद की आकस्मिक रिक्तता अथवा उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना अथवा उसके कृत्यों का निर्वाहन | २६ |
६६ उपराष्ट्रपति का निर्वाचन | २६ |
६७ उपराष्ट्रपति की पदावधि | २६ |
६८ उपराष्ट्रपति के पद की रिक्तता-पूर्ति के लिये निर्वाचन करने का समय तथा आकस्मिक रिक्तता-पूर्ति के लिये निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि | २७ |
६९ उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान | २७ |
७० अन्य आकस्मिकताओं में राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन | २७ |
७१ राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बन्धित या संसक्त विषय | २७ |
७२ क्षमा, आदि की तथा कुछ अभियोगों में दंडादेश के निलम्बन, परिहार या लघू-करण करने की राष्ट्रपति की शक्ति | २८ |
७३ संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार | २८ |
मंत्रि-परिषद् | |
७४ राष्ट्रपति को सहायता और मन्त्रणा देने के लिये मंत्रि-परिषद् | २९ |
७५ मंत्रियों सम्बन्धी अन्य उपबन्ध | २९ |
भारत का महान्यायवादी | |
७६ भारत का महान्यायवादी | २९ |
सरकारी कार्य का संचालन | |
७७ भारत सरकार के कार्य का संचालन | ३० |
७८ राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि विषयक प्रधानमंत्री के कर्तव्य | ३० |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
अध्याय २––संसद् | |
साधारण | |
७९ संसद् का गठन | ३० |
८० राज्य-सभा की रचना | ३० |
८१ लोक-सभा की रचना | ३१ |
८२ प्रत्येक जनगणना के पश्चात् पुनः समायोजन
संसद् के सदनों की अवधि || ३२ | |
८४ संसद् की सदस्यता के लिये अर्हता | ३२ |
८५ संसद् के सत्त, सत्तावसान और विघटन | ३३ |
८६ सदनों को सम्बोधन करने और संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार | ३३ |
८७ संसद् के प्रत्येक सत्तारम्भ में राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण | ३३ |
८८ सदनों विषयक मंत्रियों और महान्यायवादी के अधिकार | ३३ |
संसद् के पदाधिकारी | |
८९ राज्य-सभा के सभापति और उपसभापति | ३३ |
९० उपसभापति की पद-रिक्तता, पदत्याग, तथा पद से हटाया जाना | ३४ |
९१ उपसभापति या अन्य व्यक्ति की, सभापति-पद के कर्तव्यों के पालन करने की अथवा सभापति के रूप में कार्य करने की शक्ति |
३४ |
९२ जब उस के पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब सभापति या उपसभापति पीठासीन न होगा |
३४ |
९३ लोक-सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष | ३४ |
९४ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की पद-रिक्तता, पदत्याग तथा पद से हटाया जाना | ३५ |
९५ अध्यक्ष पद के कर्तव्य पालन की, अथवा अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति |
३५ |
९६ जब उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब अध्यक्ष या उपाध्यक्षलोक-सभा की बैठकों में पीठासीन न होगा |
३५ |
९४ सभापति और उपसभापति तथा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते | ३६ |
९५ संसद् का सचिवालय | ३६ |
कार्य-संचालन | |
९९ सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान | ३६ |
१०० सदनों में मतदान, रिक्तताओं के होते हुए भी सदनों की कार्य करने की शक्ति तथा गणपूर्ति | ३६ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
सदस्यों की अनर्हताएं | |
१०१ स्थानों की रिक्तता | ३७ |
१०२ सदस्यता के लिये अनर्हताएं | ३८ |
१०३ सदस्यों की अनर्हताओं विषयक प्रश्नों पर विनिश्चयन | ३८ |
१०४ अनुच्छेद ९९ के अधीन शपथ या प्रतिज्ञान करने से पूर्व अथवा अर्ह न होते हुए अथवा अनर्ह किये जाने पर बैठने, और मत देने के लिये दंड |
३८ |
संसद् और उसके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां | |
१०५ संसद् के सदनों की तथा उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि | ३८ |
१०६ सदस्यों के वेतन और भत्ते | ३९ |
विधान-प्रक्रिया | |
१०७ विधेयकों के पुरःस्थापन और पारण विषयक उपबन्ध | ३९ |
१०८ किन्हीं अवस्थाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक | ३९ |
१०६ धन-विधेयकों विषयक विशेष प्रक्रिया | ४० |
११० धन-विधेयकों की परिभाषा | ४१ |
१११ विधेयकों पर अनुमति | ४२ |
वित्तीय विषयों में प्रक्रिया | |
११२ वार्षिक-वित्त-विवरण | ४२ |
११३ संसद् में प्राक्कलनों के विषय में प्रक्रिया | ४३ |
११४ विनियोग-विधेयक | ४३ |
११५ अनुपूरक, अपर या अधिकाई अनुदान | ४४ |
११६ लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान | ४४ |
११७ वित्त-विधेयकों के लिये विशेष उपबन्ध | ४५ |
साधारणतया प्रक्रिया | |
११८ प्रक्रिया के नियम | ४५ |
११९ संसद् में वित्तीय कार्य सम्बन्धी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन | ४६ |
१२० संसद् में प्रयोग होने वाली भाषा | ४६ |
१२१ संसद् में चर्चा पर निर्बन्धन | ४६ |
१२२ न्यायालय संसद् की कार्यवाहियों की जांच न करेंगे | ४६ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
अध्याय ३—राष्ट्रपति की विधायिनी शक्तियां | |
१२३ संसद् के विश्रान्ति-काल में राष्ट्रपति की अध्यादेश प्रख्यापन शक्ति | ४६ |
अध्याय ४—संघ की न्यायपालिका | |
१२४ उच्चतमन्यायालय की स्थापना और गठन | ४७ |
१२५ न्यायाधीशों के वेतन आदि | ४८ |
१२६ कार्यकारी मुख्य न्यायाधिपति की नियुक्ति | ४८ |
१२७ तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति | ४८ |
१२८ सेवा-निवृत्त न्यायाधीशों की उच्चतमन्यायालय की बैठकों में उपस्थिति | ४९ |
१२९ उच्चतमन्यायालय अभिलेख-न्यायालय होगा | ४९ |
१३० उच्चतमन्यायालय का स्थान | ४९ |
१३१ उच्चतमन्यायालय का प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार | ४९ |
१३२ किन्हीं मामलों में उच्चन्यायालयों से अपील में उच्चतम न्यायालय का अपीलीय क्षेत्राधिकार | ५० |
१३३ उच्चन्यायालयों से व्यवहार-विषयों के बारे की, अपीलों में उच्चतमन्यायालय का अपीलीय क्षेत्राधिकार | ५० |
१३४ दंड-विषयों में उच्चतमन्यायालय का अपीलीय क्षेत्राधिकार | ५१ |
१३५ वर्तमान विधि के अधीन फेडरलन्यायालय का क्षेत्राधिकार और शक्तियों का उच्चतमन्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना | ५१ |
१३६ अपील के लिये उच्चतमन्यायालय की विशेष इजाजत | ५१ |
१३७ निर्णयों या आदेशों पर उच्चतमन्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन | ५२ |
१३८ उच्चतमन्यायालय के क्षेत्राधिकार की वृद्धि | ५२ |
१३९ कुछ लेखों के निकालने की शक्ति का उच्चतमन्यायालय को प्रदान | ५२ |
१४० उच्चतमन्यायालय की सहायक शक्तियां | ५२ |
१४१ उच्चतमन्यायालय द्वारा घोषित विधि सब न्यायालयों को बन्धनकारी होगी | ५२ |
१४२ उच्चतमन्यायालय की आज्ञप्तियों और आदेशों का प्रवृत्त कराना तथा प्रकटन आदि के आदेश | ५२ |
१४३ उच्चतमन्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति | ५३ |
१४४ असैनिक तथा न्यायिक प्राधिकारी उच्चतमन्यायालय की सहायता में कार्य करेंगे | ५३ |
१४५ न्यायालय के नियम आदि | ५३ |
१४६ उच्चतमन्यायालय के पदाधिकारी और सेवक तथा व्यय | ५४ |
१४७ निर्वचन | ५५ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
अध्याय ५—भारत का नियन्त्रक-महालेखापरीक्षक | |
१४८ भारत का नियन्त्रक-महालेखापरीक्षक | ५५ |
१४६ नियन्त्रक-महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियां | ५६ |
१५० लेखे के विषय में निर्देश देने की नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की शक्ति | ५६ |
१५१ लेखा-परीक्षा प्रतिवेदन | ५६ |
भाग ६ | |
राज्य | |
अध्याय १—साधारण | |
१५२ परिभाषा | ५७ |
अध्याय २—कार्यपालिका | |
राज्यपाल | |
१५३ राज्यों के राज्यपाल | ५७ |
१५४ राज्य की कार्यपालिका शक्ति | ५७ |
१५५ राज्यपाल की नियुक्ति | ५७ |
१५६ राज्यपाल की पदावधि | ५७ |
१५७ राज्यपाल नियुक्त होने के लिये अर्हता | ५८ |
१५८ राज्यपाल-पद के लिये शर्तें | ५८ |
१५६ राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान | ५८ |
१६० कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन | ५८ |
१६१ क्षमा की तथा कुछ अभियोगों में दंडादेश के निलम्बन, परिहार या लघूकरण करने की राज्यपाल की शक्ति | ५९ |
१६२ राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार | ५९ |
मंत्रि-परिषद् | |
१६३ राज्यपाल को सहायता और मंत्रणा देने के लिये मन्त्रि-परिषद् | ५९ |
१६४ मंत्रियों सम्बन्धी अन्य उपबन्ध | |
राज्य का महाधिवक्ता | |
१६५ राज्य का महाधिवक्ता | ६० |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
सरकारी कार्य का संचालन | |
१६६ राज्य की सरकार के कार्य का संचालन | ६० |
१६७ राज्यपाल को जानकारी देने आदि विषयक मुख्य मंत्री के कर्त्तव्य | ६० |
अध्याय ३—राज्य का विधान-मण्डल | |
साधारण | |
१६८ राज्यों के विधान-मंडलों का गठन | ६१ |
१६९ राज्यों में विधान परिषद् का उत्सादन या सृजन | ६१ |
१७० विधान-सभाओं की रचना | ६१ |
१७१ विधान-परिषदों की रचना | ६२ |
१७२ राज्यों के विधान-मंडलों की अवधि | ६३ |
१७३ राज्य के विधान-मंडल की सदस्यता के लिये अर्हता | ६४ |
१७४ राज्य के विधान-मंडल के सत्ता, सत्तावसान और विघटन | ६४ |
१७५ सदन या सदनों को सम्बोधन करने और संदेश भेजने का राज्यपाल का अधिकार |
६४ |
१७६ प्रत्येक सत्तारम्भ में राज्यपाल का विशेष अभिभाषण | ६४ |
१७७ सदनों विषयक मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार | ६५ |
राज्य के विधान-मण्डल के पदाधिकारी | |
१७८ विधान-सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष | ६५ |
१७९ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की पद-रिक्तता, पदत्याग तथा पद से हटाया जाना |
६५ |
१८० अध्यक्ष-पद के कर्तव्य पालन की अथवा अध्यक्ष के रूप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति |
६५ |
१८१ जब उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष सभा की बैठकों में पीठासीन न होगा |
६६ |
१८२ विधान-परिषद् के सभापति और उपसभापति | ६६ |
१८३ सभापति और उपसभापति की पद-रिक्तता, पदत्याग तथा पद से हटाया जान |
६६ |
१८४ उपसभापति या अन्य व्यक्ति की सभापति-पद के कर्तव्यों के पालन करने की अथवा सभापति के रूप में कार्य करने की शक्ति |
६६ |
१८५ जब उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब सभापति या उपसभापति पीठासीन न होगा |
६७ |
१८६ अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तथा सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते |
६७ |
१८७ राज्य के विधान-मंडल का सचिवालय | ६७ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
कार्य-संचालन | |
१८८ सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान | ६७ |
१८९ सदनों में मतदान, रिक्तताओं के होते हुये भी सदनों के कार्य करने की शक्ति तथा गणपूर्ति |
६८ |
सदस्यों को अनर्हताएँ | |
१९० स्थानों की रिक्तता | ६८ |
१९१ सदस्यता के लिये अनर्हताएँ | ६९ |
१९२ सदस्यों की अनर्हताओं विषयक प्रश्नों पर विनिश्चयन | ६९ |
१९३ अनुच्छेद १८८ के अधीन शपथ या प्रतिज्ञान करने से पूर्व अथवा अर्ह न होते हुए अथवा अनर्ह किये जाने पर बैठने और मत देने के लिये दंड |
६९ |
राज्य के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ | |
१९४ विधान मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि |
६९ |
१९५ सदस्यों के वेतन और भत्ते | ७० |
विधान-प्रक्रिया | |
१९६ विधेयकों के पुरःस्थापन और पारण विषयक उपबन्ध | ७० |
१९७ धन-विधेयकों से अन्य विधेयकों के बारे में विधान परिषद् की शक्तियों निर्बन्धन |
७१ |
१९८ धन-विधेयकों विषयक विशेष प्रक्रिया | ७१ |
१९९ धन-विधेयकों की परिभाषा | ७२ |
२०० विधेयकों पर अनुमति | ७३ |
२०१ विचारार्थ रक्षित विधेयक | ७३ |
वित्तीय विषयों में प्रक्रिया | |
२०२ वार्षिक-वित्त-विवरण | ७३ |
२०३ विधान-मंडल में प्राक्कलनों के विषय में प्रक्रिया | ७४ |
२०४ विनियोग विधेयक | ७४ |
२०५ अनुपूरक, अपर या अधिकाई अनुदान | ७५ |
२०६ लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान | ७५ |
२०७ वित्त-विधेयकों के लिये विशेष उपबन्ध | ७६ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
साधारणतया प्रक्रिया | |
२०८ प्रक्रिया के नियम | ७३ |
२०९ राज्य के विधान-मंडल में वित्तीय कार्य सम्बन्धी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन |
७७ |
२१० विधान-मंडल में प्रयोग होने वाली भाषा | ७७ |
२११ विधान-मंडल में चर्चा पर निर्बन्धन | ७७ |
२१२ न्यायालय विधान-मंडल की कार्यवाहियों की जाँच न करेंगे | ७७ |
अध्याय ४—राज्यपाल की विधायिनी शक्तियाँ | |
२१३ विधान-मंडल के विशृान्ति-काल में राज्यपाल की अध्यादेश-प्रख्यापन शक्ति |
७७ |
अध्याय ५—राज्यों के उच्चन्यायालय | |
२१४ राज्यों के लिये उच्चन्यायालय | ७८ |
२१५ उच्चन्यायालय अभिलेख-न्यायालय होंगे | ७९ |
२१६ उच्चन्यायालयों का गठन | ७९ |
२१७ उच्चन्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति तथा उसके पद की शर्तें |
७९ |
२१८ उच्चतमन्यायालय सम्बन्धी कुछ उपबन्धों का उच्चन्यायालयों को लागू होना |
८० |
२१९ उच्चन्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान | ८० |
२२० स्थायी न्यायाधीश रहने के पश्चात् विधि वृत्ति पर निर्बन्धन | ८० |
२२१ न्यायाधीशों के वेतन इत्यादि | ८० |
२२२ एक उच्चन्यायालय से दूसरे को किसी न्यायाधीश का स्थानान्तरण |
८१ |
२२३ कार्यकारी मुख्य न्यायाधिपति की नियुक्ति | ८१ |
२२४ अपर और कार्यकारी न्यायाधीशों की नियुक्ति | ८१ |
२२५ वर्तमान उच्चन्यायालयों के क्षेत्राधिकार | ८१ |
२२६ कुछ लेखों के निकालने के लिये उच्चन्यायालयों की शक्ति | ८२ |
२२७ सब न्यायालयों के अधीक्षण की उच्चन्यायालय की शक्ति | ८२ |
२२८ विशेष मामलों का उच्चन्यायालय को हस्तान्तरण | ८२ |
२२९ उच्चन्यायालयों के पदाधिकारी और सेवक और व्यय | ८३ |
२३० उच्चन्यायालयों के क्षेत्राधिकार का संघ राज्य-क्षेत्रों में विस्तार | ८३ |
२३१ दो या अधिक राज्यों के लिये एक उच्चन्यायालय की स्थापना | ८३ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
अध्याय ६—अधीन न्यायालय | |
२३३ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति | ८४ |
२३४ न्यायिक सेवा में जिला-न्यायाधीशों से अन्य व्यक्तियों की भर्ती | ८४ |
२३५ अधीन न्यायालयों पर नियंत्रण | ८४ |
२३६ निर्वचन | ८५ |
२३७ कुछ प्रकार या प्रकारों के दंडाधिकारियों पर इस अध्याय के उपबन्धों लागू होना |
८५ |
भाग ७ | |
२३८ [निरसित] | ८६ |
भाग ८ | |
२३६ संघ राज्य-क्षेत्रों का प्रशासन | ८७ |
२४० कुछ संघ राज्य-क्षेत्रों के लिए विनियम बनाने की राष्ट्रपति की शक्ति | ८७ |
२४१ संघ राज्य-क्षेत्रों के लिए उच्चन्यायालय | ८७ |
२४२ [निरसित] | ८८ |
भाग ९ | |
२४३ [निरसित] | ८९ |
भाग १० | |
२४४ अनुसूचित और आदिमजाति क्षेत्रों का प्रशासन | ९० |
भाग ११ | |
२४५ संसद् तथा राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा निर्मित विधियों का विस्तार | ९१ |
२४६ संसद् द्वारा तथा राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा निर्मित विधियों के विषय | ९१ |
२४७ किन्हीं अपर न्यायालयों की स्थापना का उपबन्ध करने की संसद् की शक्ति |
९१ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
२४८ प्रवशिष्ट विधान-शक्तियाँ | ९२ |
२४९ राष्ट्रीय हित में राज्य-सूची में के विषय के बारे में विधि बनाने की संसद् की शक्ति |
९२ |
२५० यदि आपात की उद्घोषणा प्रवर्त्तन में हो तो राज्य-सूची में के विषयों के बारे में विधि बनाने की संसद् की शक्ति |
९२ |
२५१ अनुच्छेद २४९ और २५० के अधीन संसद् द्वारा निर्मित विधियों तथा राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा निर्मित विधियों में असंगति |
९३ |
२५२ दो या अधिक राज्यों के लिये उनकी सम्मति से विधि बनाने की संसद् को शक्ति तथा ऐसी विधि का दूसरे किसी राज्य द्वारा अंगीकार किया जाना |
९३ |
२५३ अन्तर्राष्ट्रीय करारों के पालनार्थ विधान | ९३ |
२५४ संसद् द्वारा निर्मित विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा निर्मित विधियों में असंगति |
९४ |
२५५ सिपारिशों और पूर्व मंजूरी की अपेक्षाओं को केवल प्रक्रिया का विषय मानना |
९४ |
अध्याय २—प्रशासन-सम्बन्ध | |
२५६ संघ और राज्यों के आभार | ९५ |
२५७ किन्हीं अवस्थानों में राज्यों पर संघ का नियंत्रण | ९५ |
२५८ कतिपय अवस्थाओं में राज्यों को शक्ति आदि देने की संघ की शक्ति |
९६ |
२५८क संघ को कृत्य सौंपने की राज्यों की शक्ति | ९६ |
२५९ [निरसित] | ९६ |
२६० भारत के बाहर के राज्य-क्षेत्रों के सम्बन्ध में संघ का क्षेत्राधिकार |
९६ |
२६१ सार्वजनिक क्रिया, अभिलेख और न्यायिक कार्यवाहियाँ | ९६ |
जल सम्बन्धी विवाद | |
२६२ अन्तर्राज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल सम्बन्धी वादों का न्यायनिर्णयन |
९७ |
राज्यों के बीच समन्वय | |
२६३ अन्तर्राज्यिक परिषद् विषयक उपबन्ध | ९७ |
भाग १२ | |
२६४ निर्वचन | ९८ |
२६५ विधि-प्राधिकार के सिवाय करों का आरोपण न करना | ९८ |
२६६ भारत और राज्यों की संचित निधियाँ और लोक-लेखे | ९८ |
२६७ आकस्मिकता-निधि | ९८ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
संघ तथा राज्यों में राजस्वों का वितरण | |
२६८ संघ द्वारा आरोपित किये जाने वाले किन्तु राज्यों द्वारा संगृहीत तथा विनियोजित किये जाने वाले शुल्क |
९९ |
२६९ संघ द्वारा आरोपित और संगृहीत, किन्तु राज्य को सौंपे जाने वाले |
९९ |
२७० संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत तथा संघ और राज्यों के बीच वितरित कर |
१०० |
२७१ संघ के प्रयोजनों के लिये शुल्क और करों पर अधिभार |
१०१ |
२७२ कर जो संघ द्वारा उद्गृहीत और संग्रहीत हैं तथा जो संघ और राज्यों के बीच वितरित किये जा सकेंगे |
१०१ |
२७३ पटसन या पटसन से बनी वस्तुओं पर निर्यात-शुल्क के स्थान में अनुदान |
१०१ |
२७४ राज्यों के हितों से सम्बद्ध करों पर प्रभाव डालने वाले विधेयकों के लिये राष्ट्रपति की पूर्व सिपारिश की अपेक्षा |
१०१ |
२७५ कतिपय राज्यों को संघ से अनुदान | १०२ |
२७६ वृत्तियों, व्यापारों, आजीविकाओं और नौकरियों पर कर | १०२ |
२७७ व्यावृत्ति | १०३ |
२७८ [निरसित] | १०३ |
२७९ शुद्ध आगम की गणना | १०३ |
२८० वित्त आयोग | १०४ |
२८१ वित्त-आयोग की सिपारिशें | १०४ |
प्रकीर्ण वित्तीय उपबन्ध | |
२८२ संघ या राज्य द्वारा अपने राजस्व से किये जाने वाले व्यय |
१०४ |
२८३ संचित निधियों की, आकस्मिकता-निधियों की तथा लोक-लेखों में जमा धनों की अभिरक्षा इत्यादि |
१०४ |
२८४ लोक-सेवकों और न्यायालयों द्वारा प्राप्त वादियों के निक्षेप और अन्य धन की अभिरक्षा |
१०५ |
२८५ संघ की सम्पत्ति की राज्य के करों से विमुक्ति | १०५ |
२८६ वस्तुओं के क्रय या विक्रय पर करारोपण के बारे में निर्बन्धन | १०५ |
२८७ विद्युत पर करों से विमुक्ति | १०६ |
२८८ पानी या विद्युत के विषय में राज्य द्वारा लिये जाने वाले करों से अवस्थाओं में विमुक्ति |
१०६ |
२८६ संघ के कराधान से राज्यों की सम्पत्ति और आय की विमुक्ति | १०७ |
२९० कतिपय व्ययों तथा वेतनों के विषय में समायोजन | १०७ |
२९०क कुछ देवस्वम निधियों को वार्षिक देनगी | १०८ |
२९१ शासकों की निजी थैली की राशि | १०८ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
अध्याय २—उधार लेना | |
२९२ भारत सरकार द्वारा उधार लेना | १०८ |
२९३ राज्यों द्वारा उधार लेना | १०८ |
अध्याय ३–सम्पत्ति, संविदा, अधिकार, दायित्व, आभार और व्यवहार-वाद | |
२६४ कतिपय अवस्थाओं में सम्पत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और आभारों का उत्तराधिकार |
१०९ |
२६५ अन्य अवस्थाओं में सम्पत्ति, आस्तियों, अधिकारों, दायित्वों और आभारों का उत्तराधिकार |
१०९ |
२६६ राजगामी, व्यपगत या स्वामिहीनत्व होने से प्रोद्भूत सम्पत्ति |
११० |
२९७ जलप्रांगण में स्थित मूल्यवान चीजें संघ में निहित होंगी | ११० |
२६८ व्यापार आदि करने की शक्ति | ११० |
२६६ संविदाएं | १११ |
३०० व्यवहार-वाद और कार्यवाहियां | १११ |
भाग १३ | |
३०१ व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतन्त्रता | ११२ |
३०२ व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन लगाने की संसद् की शक्ति |
११२ |
३०३ व्यापार और वाणिज्य के विषय में संघ और राज्यों की विधायिनी शक्तियों पर निर्बन्धन |
११२ |
३०४ राज्यों के पारस्परिक व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निर्बन्धन |
११२ |
३०५ वर्तमान विधियों और राज्य एकाधिपत्यों के लिए उपबन्ध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति |
११३ |
३०६ [निरसित] | ११३ |
३०७ अनुच्छेद ३०१ और ३०४ तक के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये प्राधिकारी को नियुक्ति |
११३ |
भाग १४ | |
३०८ निर्वचन | ११४ |
३०६ संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती तथा सेवा की शर्तें |
११४ |
३१० संघ या राज्यों की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि |
११४ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
३११ संघ या राज्य के अधीन असैनिक हैसियत से नौकरी में लगे हुए व्यक्तियों की पदच्युति, पद से हटाया जाना या पंक्तिच्युत किया जाना |
११५ |
३१२ अखिल भारतीय सेवायें | ११५ |
३१३ अन्तर्कालीन उपबन्ध | ११५ |
३१४ कतिपय सेवाओं के वर्तमान पदाधिकारियों के संरक्षण के लिये उपबन्ध |
११६ |
अध्याय २—लोकसेवा आयोग | |
३१५ संघ और राज्यों के लिये लोक सेवा आयोग | ११६ |
३१६ सदस्यों की नियुक्ति तथा पदावधि | ११६ |
३१७ लोकसेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना या निलम्बित किया जाना |
११७ |
३१८ आयोग के सदस्यों तथा कर्मचारी-वृन्द की सेवाओं की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति |
११८ |
३१९ आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पदों के धारण के सम्बन्ध में प्रतिषेध |
११८ |
३२० लोकसेवा आयोगों के कृत्य | ११८ |
३२१ लोकसेवा-आयोगों के कृत्यों के विस्तार की शक्ति | १२० |
३२२ लोकसेवा आयोगों के व्यय | १२० |
३२३ लोकसेवा आयोगों के प्रतिवेदन | १२० |
भाग १५ | |
३२४ निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण निर्वाचन आयोग में निहित होंगे | १२१ |
३२५ धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर कोई व्यक्ति निर्वाचक नामावलि में सम्मिलित किये जाने के लिये अपात्र न होगा तथा किसी विशेष निर्वाचक नामावलि में सम्मिलित किये जाने का दावा न करेगा |
१२२ |
३२६ लोक-सभा और राज्यों की विधान-सभाओं के लिये निर्वाचन का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना |
१२२ |
३२७ विधान-मंडलों के लिये निर्वाचनों के सम्बन्ध में उपबन्ध करने की संसद् की शक्ति |
१२२ |
३२८ किसी राज्य के विधान-मंडल की ऐसे विधान-मंडल के लिये निर्वाचनों के सम्बन्ध में उपबन्ध बनाने की शक्ति |
१२२ |
३२९ निर्वाचन विषयों में न्यायालयों के हस्तक्षेप पर रोक |
१२२ |
भाग १६ | |
३३० अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये लोक-सभा में स्थानों का रक्षण |
१२३ |
३३१ लोक-सभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व | १२३ |
३३२ राज्यों की विधान-सभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के लिये स्थानों का रक्षण |
१२३ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
३३३ राज्यों की विधान सभा में ऑग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व |
१२४ |
३३४ स्थानों का रक्षण और विशेष प्रतिनिधित्व संविधान के आरम्भ से दस वर्ष के पश्चात् न रहेगा |
१२४ |
३३५ सेवाओं और पदों के लिये अनुसूचित जातियों और अनुसूचित आदिमजातियों के दावे |
१२४ |
३३६ कतिपय सेवाओं में आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिये विशेष उपबन्ध |
१२५ |
३३७ आंग्ल-भारतीय समुदाय के फायदे के लिये शिक्षण-अनुदान के लिये विशेष उपबन्ध |
१२५ |
३३८ अनुसूचित जातियों, अनुसूचित आदिमजातियों इत्यादि के लिये विशेष पदाधिकारी |
१२५ |
३३९ अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन पर तथा अनुसूचित आदिमजातियों के कल्याणार्थ संघ का नियंत्रण |
१२६ |
३४० पिछड़े हुए वर्गों की दशाओं के अनुसंधान के लिये आयोग की नियुक्ति |
१२९ |
३४१ अनुसूचित जातियां | १२७ |
३४२ अनुसूचित आदिमजातियां | १२७ |
भाग १७ | |
३४३ संघ की राजभाषा | १२८ |
३४४ राजभाषा के लिये आयोग और संसद् की समिति |
१२८ |
अध्याय २–प्रादेशिक भाषाएं | |
३४५ राज्य की राजभषा या राजभाषाएं | १२९ |
३४६ एक राज्य और दूसरे के बीच में अथवा राज्य और संघ के बीच में संचार के लिये राजभाषा |
१२९ |
३४७ किसी राज्य के जनसमुदाय के किसी भाग द्वारा बोली जाने वाली भाषा के सम्बन्ध में विशेष उपबन्ध |
१२९ |
अध्याय ३—उच्चतमन्यायालय, उच्चन्यायालयों आदि की भाषा | |
३४८ उच्चतमन्यायालय और उच्चन्यायालयों में तथा अधिनियमों विधेयकों आदि में प्रयोग की जाने वाली भाषा |
१३० |
३४९ भाषा सम्बन्धी कुछ विधियों के अधिनियमित करने के लिये विशेष प्रक्रिया |
१३० |
अध्याय ४—विशेष निवेश | |
३५० व्यथा के निवारण के लिये अभ्यावेदन में प्रयोक्तव्य भाषा |
१३० |
३५० क प्राथमिक प्रक्रम में मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए सुविधाएं |
१३१ |
३५० ख भाषाजात अल्प संख्यकों के लिये विशेष पदाधिकारी | १३१ |
३५१ हिन्दी भाषा के विकास के लिये निदेश | १३१ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
भाग १८ | |
३५२ आपात की उद्घोषणा | १३२ |
३५३ आपात की उद्घोषणा का प्रभाव | १३२ |
३५४ आपात की उद्घोषणा जब प्रवर्त्तन में है तब राजस्वों के वितरण सम्बन्धी उपबन्धों की प्रयुक्ति |
१३३ |
३५५ वाह्य आक्रमण और आभ्यान्तरिक अशान्ति से राज्य का संरक्षण करने का संघ का कर्तव्य |
१३३ |
३५६ राज्यों में सांविधानिक तन्त्र के विफल हो जाने की अवस्था में उपबन्ध |
१३३ |
३५७ अनुच्छेद ३५६ के अधीन निकाली गई उद्घोषणा के अधीन विधायिनी शक्तियों का प्रयोग |
१३४ |
३५८ आपातों में अनुच्छेद १९ के उपबन्धों का निलम्बन | १३५ |
३५९ आपात में भाग ३ द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्त्तन का निलम्बन |
१३५ |
३६० वित्तीय-आपात के बारे में उपबन्ध | १३५ |
भाग १९ | |
३६१ राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण | १३७ |
३६२ देशी राज्यों के शासकों के अधिकार और विशेषाधिकार | १३८ |
३६३ कतिपय संधियों, करारों इत्यादि से उद्भूत विवादों में न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप का वर्जन |
१३८ |
३६४ महा-पत्तनों और विमान-क्षेत्रों के लिये विशेष उपबन्ध | १३८ |
३६५ संघ द्वारा दिये गये निर्देशों का अनुवर्तन करने या उनको प्रभावी करने में असफलता का प्रभाव |
१३९ |
३६६ परिभाषाएं | १३९ |
३६७ निर्वचन | १४१ |
भाग २० | |
३६८ संविधान के संशोधन के लिये क्रिया | १४३ |
भाग २१ | |
३६९ राज्य-सूची में के कुछ विषयों के बारे में विधि बनाने की संसद् की इस प्रकार अस्थायी शक्ति मानो कि वे विषय समवर्ती सूची के हैं |
१४४ |
३७० जम्मू और कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में अस्थायी उपबन्ध |
१४४ |
३७१ आन्ध्र प्रदेश, पंजाब और मुम्बई राज्यों के विषय में विशेष उपबन्ध | १४५ |
अनुच्छेद | पृष्ठ संख्या |
३७२ वर्तमान विधियों का प्रवृत्त बने रहना तथा उनका अनुकूलन |
१४६ |
३७२क विधियों का अनुकूलन करने की राष्ट्रपति की शक्ति | |
३७३ निवारक-निरोध में रखे गये व्यक्तियों के सम्बन्ध में कुछ अवस्थानों में आदेश देने की राष्ट्रपति की शक्ति |
१४७ |
३७४ फेडरलन्यायालय के न्यायाधीशों के, तथा फेडरलन्यायालय में अथवा सपरिषद् सम्राट के, समक्ष लम्बित कार्यवाहियों के बारे में उपबन्ध |
१४८ |
३७५ संविधान के उपबन्धों के अधीन रह कर न्यायालयों, प्राधिकारियों और पदाधिकारियों का कृत्य करते रहना |
१४८ |
३७६ उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों के बारे में उपबन्ध | १४९ |
३७७ भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के बारे में उपबन्ध | १४९ |
३७८ लोकसेवा आयोग के बारे में उपबन्ध | १४९ |
३७८क आन्ध्र प्रदेश विधान सभा की अस्तित्वावधि के बारे में उपबन्ध |
१५० |
३७९—३९१ [निरसित] | १५० |
३९२ कठिनाइयां दूर करने की राष्ट्रपति की शक्ति | १५० |
भाग २२ | |
३९३ संक्षिप्त नाम | १५१ |
३९४ प्रारम्भ | १५१ |
३९५ निरसन | १५१ |
अनुसूचियां | |
प्रथम अनुसूची—भारत के राज्य और राज्य-क्षेत्र | १५२ |
द्वीतीय अनुसूची— | |
भाग (क) राष्ट्रपति तथा राज्यों के राज्यपालों के लिये उपबन्ध | १५४ |
भाग (ख)—[निरसित] | १५४ |
,भाग (ग)—लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा राज्य-सभा के सभापति और उपसभापति के तथा राज्य की विधान-सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा राज्य की विधान परिषद के सभापति और उपसभापति के सम्बन्ध में उपबन्ध |
१५४ |
भाग (घ)—उच्चतमन्यायालय तथा उच्चन्यायालयों के न्यायाधीशों के सम्बन्ध में उपबन्ध |
१५५ |
भाग (ङ)—भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के सम्बन्ध में उपबन्ध | १५८ |
तृतीय अनुसूची—शपथ और प्रतिज्ञान के प्रपत्र। | १५९ |
पृष्ठ संख्या | |
चतुर्थ अनुसूची—राज्य सभा में के स्थानों का बंटवारा | १६१ |
पंचम अनुसूची—अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित आदिमजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के सम्बन्ध में उपबन्ध | १६२ |
भाग (क)—साधारण | १६२ |
भाग (ख)—अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित आदिमजातियों का प्रशासन और नियंत्रण | १६२ |
भाग (ग)—अनुसूचित क्षेत्र | १६३ |
भाग (घ)—अनुसूची का संशोधन | १६४ |
षष्ठ अनुसूची—आसाम में के आदिमजाति-क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में उपबन्ध | १६५ |
सप्तम अनुसूची— | |
सूची १.—संघ सूची | १७५ |
सूची २.—राज्य सूची | १८० |
सूची ३.—समवर्ती सूची | १८४ |
अष्टम अनुसूची—भाषाएं | १८७ |
नवम अनुसूची—कुछ अधिनियमों और विनियमों का मान्यकरण | १८८ |
यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।
यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।