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रामनाम/६

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रामनाम
मोहनदास करमचंद गाँधी

अहमदाबाद - १४: नवजीवन प्रकाशन मन्दिर, पृष्ठ १५

 

रामनाम : हमारा अेकमात्र आधार

राम, अल्लाह, गॉड सब मेरे नजदीक अेकार्थक शब्द है। मैने देखा कि सीधे-भोले लोगोने धोखेसे अपना यह खयाल बना लिया है कि मुसीबतके समय मै अुनको दिखाअी देता हू। मै अिस वहमको दूर कर देना चाहता हू। मै किसीको दर्शन नही देता। अेक नश्वर शरीर पर भरोसा रखना महज अुनका भ्रम है। अिसलिअे मैने अुनके सामने अेक सादा और सरल नुस्खा रखा है, जो कभी बेकार नही जाता—अर्थात् हर रोज सुबह सूरज निकलनेके पहले और शामको सोनेके वक्त अपनी प्रतिज्ञाओको पूरी करनेके लिअे अीश्वरकी सहायता मागना। लाखो हिन्दू अीश्वरको रामके नामसे पहचानते है। बचपनमे जब-जब मै डरता था, तब मुझे रामनाम लेनेको कहा जाता था। मेरे कितने ही साथी अैसे है, जिन्हे मुसीबतके वक्त रामनामसे बडी तसल्ली मिली है। मैने धाराला और अछूतोको भी रामनाम बताया। मै अपने अुन पाठकोके सामने भी अिसे पेश करता हू, जिनकी दृष्टि धुधली नही हुअी है और जिनकी श्रद्धा बहुत विद्वत्ता प्राप्त करनेसे मन्द नही हो गअी है। विद्वत्ता हमे जीवनकी अनेक अवस्थाओसे पार ले जाती है, पर सकट और प्रलोभनके समय वह हमारा साथ बिलकुल नहीं देती। अुस हालतमें अकेली श्रद्धा ही हमे अुबारती है। रामनाम अुन लोगोके लिअे नही है, जो अीश्वरको हर तरहसे फुसलाना चाहते है और हमेशा अपनी रक्षाकी आशा अुससे लगाये रहते है। यह अुन लोगोके लिअे है, जो अीश्वरसे डर कर चलते है, और जो सयमपूर्वक जीवन बिताना चाहते है लेकिन अपनी निर्बलताके कारण अुसका पालन नहीं कर पाते।

हिन्दी नवजीवन, २२-१-१९२५