विकिस्रोत:आज का पाठ/१५ मई

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सत्यहरिश्चंद्र ब्रजरत्नदास द्वारा संपादित भारतेंदु-नाटकावली का एक अंश है जिसमें भारतेन्दु हरिश्चंद्र की रचनाओं का संकलन किया गया है। इसका प्रकाशन सं॰ १९९२ में रामनारायण लाल इलाहाबाद द्वारा किया गया था।

प्रस्तुत पाठ में सत्यहरिश्चंद्र का संक्षेपण किया गया है।


"सत्यहरिश्चन्द्र नाटक चार अंक में समाप्त हो गया है। नाटकों में कम से कम पाँच अंक होने चाहिए। इस नाटक का प्रधान रस वीर है। इसके सत्यवीर, दानवीर, कर्मवीर तथा युद्धवीर चार भेद होते हैं, जिनमें दो का राजा हरिश्चन्द्र में और तीसरे का विश्वामित्र जी में परिपाक हुआ है। इसके सिवा इसमें करुण, वीभत्स, हास्य तथा अद्भुत रस का भी समावेश है, जिनमें प्रथम को मात्रा बहुत बढ़ गई है। इसके प्रधान नायक राजा हरिश्चन्द्र धीरोदात्त प्रतापी राजर्षि हैं। विश्वामित्र का राजा हरिश्चन्द्र को सत्यभ्रष्ट करने की प्रतिज्ञा करना बीज है।..."(पूरा पढ़ें)