सामग्री पर जाएँ

विकिस्रोत:आज का पाठ/१६ मई

विकिस्रोत से

Download this featured text as an EPUB file. Download this featured text as a RTF file. Download this featured text as a PDF. Download this featured text as a MOBI file. Grab a download!

संज्ञा कामताप्रसाद गुरु द्वारा रचित हिंदी व्याकरण का एक अध्याय है जिसका प्रकाशन सं॰ १९८४ में इडियन प्रेस, लिमिटेड "प्रयाग" द्वारा किया गया था।


"संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे प्रकृत किंवा कल्पित सृष्टि की किसी वस्तु का नाम सूचित हो, जैसे, घर, आकाश, गंगा, देवता, अक्षर, बल, जादू, इत्यादि।
(क) इस लक्षण में 'वस्तु' शब्द का उपयोग अत्यंत व्यापक अर्थ में किया गया है। वह केवल प्राणी और पदार्थं ही का वाचक नहीं है किंतु उनके धर्मों का भी वाचक है। साधारण भाषा मेंं 'वस्तु' शब्द का उपयोग इस अर्थ में नहीं होता; परंतु शास्त्रीय ग्रंथों में व्यवहृत शब्दों का अर्थं कुछ घटा-बढ़ाकर निश्चित कर लेना चाहिये जिससे उसमें कोई संदेह न रहे।..."(पूरा पढ़ें)