विकिस्रोत:आज का पाठ/१८ मार्च
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बुँदेलखंड-पर्य्यटन–श्रीयुत कृष्णबलदेव वर्म्मा श्यामसुंदरदास द्वारा रचित हिंदी निबंधमाला-१ का एक अंश है जिसका प्रकाशन जुलाई सं॰ १९८७ में प्रयाग के इंडियन प्रेस, लिमिटेड द्वारा किया गया था।
"कवि-कुल-कमल-दिवाकर महात्मा सूरदासजी ने सत्य कहा है-"सबै दिन जात न एक समान"। निस्संदेह यह वाक्य ऐसा सारगर्भित है कि इसे जितना ही सोचिए उतना ही यह गूढ़ प्रतीत होता है। इतिहासानुरागी लोगों के लिये तो यह वाक्य ऐसा उपयोगी है कि यदि वे इसे स्वर्णाक्षरों से लिखकर रात दिन अपने सामने लटकाए रहें तो भी अनुचित न होगा। दंभी पुरुषों के सम्मुख तो यह वाक्य घनघोर नाद से पढ़े जाने के योग्य ही है।..."(पूरा पढ़ें)