विकिस्रोत:आज का पाठ/२१ अक्टूबर
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२-पत्रकार १९५९ ई. में प्रकाशित रक्षा बंधन पुस्तक की दूसरी महत्त्वपूर्ण कहानी है।
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( १ )
दोपहर का समय था। 'लाउड स्पीकर' नामक अँग्रेजी दैनिक समाचार पत्र के दफ्तर में काफी चहल-पहल थी। यह एक प्रमुख तथा लोकप्रिय पत्र था।
प्रधान सम्पादक अपने कमरे में मेज के सामने विराजमान थे। इनकी वयस पचास के लगभग थी।
इनके सन्मुख दो सहकारी सम्पादक उपस्थित थे। तीनों व्यक्ति मौन बैठे थे—मानो किसी एक ही बात पर तीनों विचार कर रहे थे। सहसा प्रधान सम्पादक बोल उठे—"रुपये का कोई विचार नहीं। रुपया चाहे जितना खर्च हो जाय; परन्तु केस का विवरण सब से पहले हमारे पत्र में प्रकाशित होना चाहिए।"..."(पूरा पढ़ें)