विकिस्रोत:आज का पाठ/२१ मई
संस्कृत-नाट्य शास्त्र तथा नाटकों का संक्षिप्त इतिहास ब्रजरत्नदास द्वारा संपादित भारतेंदु-नाटकावली में संकलित एक अध्याय है जिसका प्रकाशन सं॰ १९९२ में रामनारायण लाल, पब्लिशर और बुकसेलर "इलाहाबाद" द्वारा किया गया था।
"नाटकों की व्युत्पत्ति के विषय में भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में लिखा है कि त्रेता युग के आरंभ में देवताओं ने ब्रह्मा के पास जाकर उनकी बहुत स्तुति की और प्रार्थना की कि वे मनोरंजन की कुछ ऐसी वस्तु का सृजन कर दें, जिससे नेत्र तथा कर्ण दोनो को साथ साथ आनंद प्राप्त हो। इस पर ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर चारों वेदो से कुछ कुछ अंश लेकर नाट्यवेद की रचना की। यह अब प्राप्त नहीं है और यह अतीव प्राचीन काल के गाथाओं का संग्रह मात्र होता, जिसका केवल उल्लेख नाट्यशास्त्र में हुआ है।..."(पूरा पढ़ें)