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  • मिश्रबंधु-विनोद (१) (श्रेणी 1926 के कार्य)
    रिचर करिक्य ६ । ० । ० । दूञ्च हैं । बरीसद्ध. बौधा रामचंद्र धाम देदी प्रबन एमा सायदान १६०-१७० ३७३-५-१७० १६-१७ १७६-१७ १७१–१७१ १७१-१६१ १७१-१२ १७२-१२ १७२-१७२...
    ४७४ B (१,८१८ शब्द) - ०९:१४, २० अप्रैल २०२१
  • उचालह स मत्त जासु तरा भूसण सोहा एम कुंडलिया जाणहु पढनपडि जह दोहा ॥I, १४६॥ श्री 'भानु' जी ने श्री पिङ्गलाचार्य जी के मत को आधार मान कर अपने ‘छंद: प्रभाकर'...
    ४७० B (४८,४३३ शब्द) - ०२:१५, १७ जुलाई २०२४
  • बी खास रुका आयो है जो भारी भी पदारवा की सीखवी हैं नेदली काका जी बेद है जो कागद वाचत चला आवजी थानेमा आगे जाइगे पड़ेगा थाके वास्ते डाक बैठी है श्री हजूर बी...
    २९६ B (७,४२६ शब्द) - १९:१५, ६ अगस्त २०२४
  • कविवचनसुधा (श्रेणी 1906 के कार्य)
    दै भिखारी से । साहू के सपूत समबन्धी शिवराज वीर केते बाद- शाह फिरें बन बन बनचारी से ॥ भूपन बखानै केते दीन्हे बन्दिखाने केते केते गहि राखै सख सैयद बजारी...
    २१९ B (१६,७२४ शब्द) - ०३:२२, १४ मई २०२४