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कहीं आपका मतलब शंकर कुँवर मधुबन तो नहीं था?
  • जानकारी श्री रमेश थानवी और श्री तपेश्वर भाई, पोस्ट जगतपुरा, वाया घोंघरडीहा, मधुबनी, बिहार से मिली है। शिवसागर की कलात्मक नेष्टा हमें श्री जयप्रकाश थानवी के...
    ४४९ B (७,०६५ शब्द) - १४:०९, ३० मई २०२१
  • विवर्त्तवाद से पीछा छुड़ाना था जिनके अनुसार भक्ति अविद्या या भ्रांति ही ठहरती थी। शंकर ने केवल निरुपाधि निर्गुण ब्रह्म की ही पारमार्थिक सत्ता स्वीकार की थी। वल्लभ...
    ७५७ B (११,६७९ शब्द) - ०१:३३, २० मई २०२४
  • दूर, नहीं बाधा सरकारी॥ पं॰ नाथूराम शंकर शर्मा का जन्म संवत् १९१६ में और मृत्यु १९८९ में हुई। वे अपना उपनाम 'शंकर' रखते थे और पद्यरचना में अत्यंत सिद्धहस्त...
    ६२७ B (३९,८११ शब्द) - ०२:१२, २१ मई २०२४
  • तो काम कैसे चलेगा? कालिदास ने भी कुमार-संभव में पार्वती के अंग-प्रत्यंग का श्रृंगारी वर्णन किया है। तो क्या उनकी शंकर की उपासना भी सख्य भाव की हुई और उनका...
    ४१७ B (१८,९०८ शब्द) - ०२:५०, ३० जुलाई २०२०
  • सवाँरा करो। सम नैन के खंजन जानत तो किन खंजनही को इशारा करो। कवि शंकर शंकर से कुच जौ कर शंकर ही पर धारा करो । ​मेरो कहो जो सुधाकर सों तो सुधाकर क्यों न निहार...
    २१९ B (१६,७२४ शब्द) - ०३:२२, १४ मई २०२४