विश्व प्रपंच

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विश्व प्रपंच  (1920) 
द्वारा रामचंद्र शुक्ल
[ आवरण ]

विश्वप्रपंच

 

लेखक

 

रामचंद्र शुक्ल

 

१९७७

 

श्रीलक्ष्मीनारायण प्रेस, बनारस में मुद्रित

 

मूल्य १)

[ विषयसूची ]

विषय-सूची ।


विषय
पहला प्रकरण—जिज्ञासा
दूसरा प्रकरण—हमारा शरीर
तीसरा प्रकरण—हमारा जीवन
चौथा प्रकरण—गर्भविधान
पाँचवाँ प्रकरण—मनुष्य की उत्पत्ति का इतिहास
छठाँ प्रक्ररण—आत्मा का स्वरूप
सातवाँ प्रकरण—मनोविधान की श्रेणियाँ
आठवाँ प्रकरण—आत्मा का गर्भविकाश
नवाँ प्रकरण—आत्मा का वंशपरंपराक्रम से विकाश
दसवाँ प्रकरण—चेतना



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पृष्ठ

१७
२९
३८
५२
६६
८६
११२
१२२
१४१

[ वक्तव्य ]

वक्तव्य ।

आज जर्मनी के जगद्विख्यात प्राणितत्त्ववेत्ता हैकल की परम प्रसिद्ध पुस्तक Riddle of the Universe हिंदी पढ़ने-वालो के सामने रखी जाती है। यह अनात्मवादी आधिभौतिक पक्ष का सिद्धांत ग्रंथ है। इसमे नाना विज्ञानों से प्राप्त उन सब तथ्यों को संग्रह है जिन्हे भूतवादी अपने पक्ष के प्रमाण में उपस्थित करते हैं। जिस समय यह ग्रंथ प्रकाशित हुआ योरप में इसकी धूम सी मच गई। अकेले जर्मनी में दो महीने के भीतर इसकी ९००० प्रतियाँ खप गई। योरप की सब भाषाओ मे इसके अनुवाद निकले । अँगरेज़ी की तो लाखों कापियाँ पृथ्वी के एक कोने से ले कर दूसरे कोने तक पहुँच गई। इस पुस्तक ने सब से अधिक खलबली पादरियों के बीच डाली जिनकी गालियों से भरी हुई सैकड़ो पुस्तके इसके प्रतिवाद मे निकलीं।

पुस्तक में आधुनिक दुर्शन और विज्ञान से संबंध रखनेवाली जिन जिन बातों का उल्लेख है उन सब की थोड़ी बहुत चर्चा भूमिका में इस लिये कर दी गई है जिसमे अभिप्राय समझने में सुवीता हो । पुस्तक के भीतर भी स्थान स्थान पर टिप्पणियाँ लगा दी गई हैं।

भाषा के संबंध मे इतना कह देना अनुचित न होगा कि उसे केवल हिदी या संस्कृत जाननेवाले भी अपनी विचार -पद्धति के प्रायः अनुरूप पाएँगे । कौन सा वाक्य किस अँगरेजी वाक्य का अक्षरशः अनुवाद है इसका पता लगाने की ज़रूरत किसी को न होगी।

रामचन्द्र शुक्ल‌।