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हिंदी कहानी प्रश्नपत्र दिल्ली विश्वविद्यालय मार्च २०२३

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हिंदी कहानी प्रश्नपत्र मार्च २०२३  (2023) 

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय, पृष्ठ १ से – ४ तक

 

 

[This question paper contains 4 printed pages.]

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Sr. No. of Question Paper : 3067D
Unique Paper Code : 2052101103
Name of the Paper : Hindi Kahani (DSC-3)
Name of the Course : B.A. (Hons.) Hindi
Semester : I
Duration : 3 Hours Maximum Marks : 90

छात्रों के लिए निर्देश

1. इस प्रश्न-पत्र के मिलते ही ऊपर दिए गए निर्धारित स्थान पर अपना अनुक्रमांक लिखिए।

2. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

 


1. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की सप्रसंग व्याख्या कीजिए : (10 +10=20)}}

(क) चार दिन तक पलक नहीं झँपी। बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना जड़े सिपाही। मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुक्म मिल जाय। फिर सात जर्मनों को अकेला मार कर न लौटूँ, तो मुझे दरबार साहब की देहली पर मत्था टेकना नसीब न हो। पाजी कहीं के, कलों के घोड़े-संगीन देखते ही मुँह फाड़ देते हैं, और पैर पकड़ने लगते हैं। यों अंधेरे में तीस-तीस मन का गोला फेंकते हैं। उस दिन धावा किया था–चार मील तक एक जर्मन नहीं छोड़ा था। पीछे जनरल ने हट जाने का कमान दिया, नहीं तो …।
(ख) आसिन-कातिक के भोर में छा जानेवाले कुहासे से हिरामन को पुरानी चिढ़ है। बहुत बार वह सड़क भूलकर भटक चुका है। किन्तु आज के भोर के इस घने कुहासे में भी वह मगन है। नदी के किनारे धान-खेतों से फूले हुए धान के पौधों की पवनिया गंध आती है। पर्वपावन के दिन गाँव में ऐसी ही सुगंध फैली रहती है। उसकी गाड़ी में फिर चंपा का फूल खिला। उस फूल में एक परी बैठी है।… जै भगवती!
(ग) गजाधर बाबू बैठकर चाय और नाश्ते का इंतजार करते रहे। उन्हें अचानक ही गनेशी की याद आ गई। रोज सुबह, पैसेंजर आने से पहले वह गरम-गरम पूरियाँ और जलेबी बनाता था। गजाधर बाबू जब तक उठकर तैयार होते, उनके लिए जलेबियाँ और चाय ला कर रख देता था। चाय भी कितनी बढ़िया, काँच के गिलास में ऊपर तक भरी लबालब, पूरे ढाई चम्मच चीनी और गाढ़ी मलाई। पैसेंजर भले ही रानीपुर लेट पहुँचे, गनेशी ने चाय पहुंचाने में कभी देर नहीं की। क्या मजाल कि कभी उससे कुछ कहना पड़े।
(घ) सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था। आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टँगी थी, जिसमें पैबंद लगे हुए थे। दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था। बाहर की कोठरी में मुंशीजी औंधे मुँह होकर निश्चिंतता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान-किराया-नियंत्रण-विभाग की क्लर्की से उनकी छंटनी न हुई हो और शाम को उनको काम की तलाश में कहीं जाना न हो।
2. 'उसने कहा था' कहानी की मूल संवेदना लिखिए। (17)

अथवा

तत्वों के आधार पर 'तीसरी कसम' कहानी का विश्लेषण कीजिए।
 
3. 'वारिस' कहानी का सार लिखिए। (17)

अथवा

'दोपहर का भोजन' कहानी के कथ्य को उद्घाटित कीजिए।
 
4. 'तीसरी कसम' कहानी में निहित प्रेम के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए। (16)

अथवा

पारिवारिक मूल्यों के विघटन के रूप में 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए : (10+10=20)

(क) 'घुसपैठिए' कहानी का मूल भाव।

(ख) हिरामन का चरित्र चित्रण कीजिए।

(ग) सिद्धेश्वरी का चरित्र-चित्रण कीजिए।

(घ) 'पंच परमेश्वर' कहानी का शिल्प।

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।