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- ग्रंथ लिपि बनी. लिपिपत्र ५६ वें की मूल पंक्तियों का नागरी अक्षरांतर- हरिः ओम् स्वस्ति औः येमासौ करुणाममीयत दशं औरंगपत्मा(माकरः कृत्वा तम् भुवनान्तरप्रणयिनं...१३० B (१,३६,९२१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१