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कहीं आपका मतलब बिनु केलि तो नहीं था?
  • जिनाइहौं जू। वरु मारिये मोहिं, विना पग धोये हैं। नाथ न नाव चढ़ाइहौं जू॥ अर्थ―केवट कहता है कि इस घाट से थोड़ी ही दूर पर कमर तक पानी है; वह स्थल मैं आपको बतला...
    ३२७ B (४,११२ शब्द) - ०८:३१, ५ अगस्त २०२१
  • काल कहे मेरी यह काहू की न चरिजा। यातें नंदनंदन कें नामकी बनाव नाव। संत जन केवट ले पार तूं उतरिजा॥३॥ कवित्त चोवा मार चंदन कपूर चूर चारु ले ले। अत्तर गुलाब...
    ३६४ B (५,६३४ शब्द) - २२:४८, २२ अप्रैल २०२१