अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अखिल अरब आन्दोलन

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अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

[  ] अखिल अरब आन्दोलन--इस आन्दोलन का लक्ष्य है समस्त अरबों का एक सघ या राज्य स्थापित करना। शाम (सीरिया), जो आधुनिक अरबी राष्ट्रीयता का गढ़ है, इस आन्दोलन का केन्द्र है। इसके समर्थक समस्त अरबी-भाषी देशो से मिलते हैं। यह आन्दोलन अखिल इस्लामवाद (Pan-Islamism) से मिलता-जुलता है। परन्तु अन्तर केवल इतना ही है। कि इसका आधार राष्ट्रीय है, इसी कारण इस आन्दोलन में अरबी-ईसाई भी, मुस्लिम अरबो की भॉति ही, सहयोग देते हैं।

इस आन्दोलन में अरबो की स्थानिक तथा क़बीले-संबंधी दृढ भावना और भिन्न अरब राज्यो एव नरेशो में प्रतिस्पर्धा के कारण बाधा पड़ रही है। इस स्पर्द्धा के आधार में कोई सैद्धान्तिक मतभेद नहीं है, प्रत्युत् नेतृत्व के लिए झगडा है। अखिल-अरब आन्दोलन कोई सुसगठित शक्ति नहीं है। वह तो अरबो से पायी जानेवाली एक सामान्य सहानुभूति की भावधारा है, जो समय-समय पर प्रकट होजाती है। अनेक गुप्त तथा प्रकाश्य सस्थाओं द्वारा इस आन्दोलन का संचालन हो रहा है। फिलिस्तीन के प्रश्न पर विल्देन--शाम(सीरिया) मे सितम्बर १९३७ में अखिल अरबवादियो की एक कांग्रेस हुई थी। यरूशलम के मुफ्ती आजम के प्रयत्न से यह कांग्रेस हुई थी। इसमे ४५० प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस आन्दोलन का लक्ष्य है समस्त अरब-राज्यों का सघ स्थापित करना। फिलिस्तीन में यहूदियों को यह लोग सशक्त नहीं देखना चाहते। मिस्र की इस आन्दोलन से सहानुभूति तो है परन्तु दूरी वाधक है। कुछ मिस्रवासियों का कहना है कि मिस्र सब अरब राज्यों में प्रगतिशील है इसलिए उसे इस आन्दोलन का नेतृत्व ग्रहण करना
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चाहिए। सऊदी अरब तथा मिस्र की जो संधियाँ हुई हैं, उनमें अरब-बंधुत्व की ओर संकेत है। फ़्रान्सीसी उत्तरी अफ्रीका तथा मरक्को मे भी इस आन्दोलन के प्रति सहानुभूति है। इन दोनो देशो के लोग अरब जाति के नही है, और न वे विशुद्ध अरबी भाषा का ही प्रयोग करते हैं; किन्तु वहाँ वास्तविक अरबो का सम्मान किया जाता है। आधुनिक समय मे समस्त अरब देश किसी-न-किसी यूरोपियन राज्य के अधीन हैं अथवा उनके संरक्षण या प्रभाव-क्षेत्र मे हैं। इसलिए यूरोपीय शक्तियाँ इन देशो मे अरब-आन्दोलन की प्रगति मे बाधा डालती रहती है।