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अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/अराजकतावाद

विकिस्रोत से
अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश
रामनारायण यादवेंदु

पृष्ठ ३१ से – ३२ तक

 

अराजकतावाद--यह एक राजनीतिक सिद्धान्त है। इसका उद्देश्य संगठित शासन-सत्ता का नाश कर एक ऐसे समाज की स्थापना करना है जिसमें सब व्यक्तियो–-नागरिको को पूर्ण स्वतंत्रता प्रात हो। अमरीका के विचारक थोरो ने कहा है--“सरकार सबसे अच्छी वह है जो बिलकुल शासन न करे, और जब मनुष्य ऐसी सरकार के लिए तैयार होजायँगे, तब उन्हे वैसी ही सरकार मिल जायगी।" अराजकतावादियो का यह मन्तव्य है कि प्रत्येक सरकार या शासन का आधार बल-प्रयोग है, हिसा है, और जबतक समाज में बल-प्रयोग पर आश्रित व्यवस्था क़ायम रहेगी तब तक मानव-समाज न सुखी रह सकेगा और न स्वतंत्रता का भोग ही संभव होसकेगा। इस प्रकार उनके मतानुसार सरकार चाहे प्रजातंत्रवादी हो, चाहे एकतंत्रवादी, अथवा समाजवादी, सभी समान रूप से दोषपूर्ण है। वे चाहते है कि मानवो का एक स्वतंत्र समाज स्थापित किया जाय जिसमे कोई दमनकारी-संस्था न हो, जिसमें न सेना हो, न पुलिस, न न्यायालय, और न जेलख़ाना । अराजकतावादियो मे विविधि विचारधाराएँ प्रचलित हैं। कुछ का ध्येय व्यक्तिवादी व्यवस्था और कुछ का समाजवादी व्यवस्था है। इनमे भी, साधनो के कारण, दो भेद है। एक वे हैं जो शान्तिमय साधनो द्वारा अराजक समाज की स्थापना करना चाहते हैं। दूसरे वे है जो हिंसात्मक उपायों से ऐसी व्यवस्था क़ायम

करना चाहते हैं। यहाँ यह स्पष्ट समझ लेना चाहिये कि अराजकतावाद किसी ऐसी अराजकता का समर्थन नहीं करता जिससे सामाजिक व्यवस्था अस्तव्यस्त होजाय। प्रत्युत् उसका लक्ष्य तो एक आदर्श समाज की स्थापना है। कुछ मनचले अराजकतावादियो ने, इस सिद्धान्त को ही ठीक तरह न समझने के कारण, आतंकवाद को ही अपना लक्ष्य बना लिया और राजाओं, शासको और बड़े-बड़े अफसरों पर बम फेंकना अपना मन्तव्य समझ लिया।

भारतवर्ष में भी, दूसरे कारणों से सही, यूरोप के तथाकथित अराजकतावादियो की नक़ल की गई। अराजकतावादी नेता बड़े उच्चकोटि के आदर्श महापुरुष है। उनका जीवन वास्तव में बड़ा ही पवित्र और सात्विक रहा है। प्रमुख नेताओं में विलियम गोडविन (१७५६-१८३६), मैक्स स्टर्नर (१८०६-१८५६), पियरे जोसफ (१८०९-१८६५), माइकेल वेक्निन (१८१४-१८७६), प्रिंस क्रोपाटकिन (१८४२-१९२१), टाल्सटाय (१८२८-१९१०), आदि उल्लेखनीय हैं।