अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/ईडन, महामाननीय (राइट आनरेब्ल्) राबर्ट एन्थनी, एम॰ पी॰

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अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

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ईडन, महामाननीय (राइट आनरेब्ल्) राबर्ट एन्थनी, एम॰ पी॰–– आप सर विलियम ईडन के द्वितीय पुत्र हैं। जन्म सन् १८९७ में हुआ। ईटन तथा क्रिश्चियन चर्च, आक्सफर्ड, में शिक्षा प्राप्त की। सितम्बर १९१५ में द्वितीय लेफ्टिनेंट होकर फ्रान्स की सीमा पर गये। युद्ध की समाप्ति तक उसमें भाग लिया। सैनिक-क्रास पुरस्कार में प्राप्त किया तथा २० वर्ष की आयु में कप्तान बना दिये गये। सन् १९२३ में पार्लमेंट की काॅमन-सभा के सदस्य चुने गये। तब से आप बराबर सदस्य चुने जाते रहे हैं। आपने वैदेशिक राजनीति का गंभीर अध्ययन किया। स्वर्गीय सर आस्टिन चेम्बरलेन के पर्लमेंटरी प्राईवेट सेक्रेटरी होगये, और लार्ड रैडिंग तथा सर जाॅन साइमन के अधीन वैदेशिक उप-मंत्री भी रहे। आपको जिनेवा में राष्ट्रसंघ के अधिवेशनों में शामिल होने का कई बार अवसर मिला और थोड़े ही समय में आप राष्ट्रसंघ के सम्मेलनों में एक प्रभावशाली नेता बन गये। सन् १९३४ में आप लार्ड प्रीवी सील बनाये गये और प्रीवी कौंसिलर भी बना दिये गये। ब्रिटेन में राष्ट्रसंघ-मिनिस्टरी एक नया पद कायम किया गया और श्री ईडन उसके मंत्री बनाये गये। इटली-अबीसीनिया-युद्ध के समय आपने इस बात का जोरदार आग्रह किया कि राष्ट्रसंघ इटली के विरुद्ध कार्‌रवाई करे और आपने होर-लावल योजना का विरोध किया। सर सैम्युअल होर के बाद आप वैदेशिक-मंत्री बनाये गये। उस समय आपकी आयु ३८ वर्ष की थी। आप ही सबसे प्रथम ब्रिटिश मंत्री थे जो मास्को में स्टेलिन से भेंट करने गये। स्पेन के गृह-युद्ध में उन्होंने अ-हस्तक्षोप की नीति का समर्थन किया। इसके बाद इटली के मुसोलिनी तथा जर्मनी के हिटलर ने उन पर दोषारोप किये। ईडन ने नैविल चेम्बरलेन की इस योजना का विरोध किया कि इटली के साथ किसी [ ६१ ]
नये समझौते की वार्त्ता शुरू की जाय। किन्तु मंत्रिमण्डल ने आपके परामर्श पर ध्यान नहीं दिया और मुसोलिनी को ढील देने की नीति बरती गई। इस कारण, २० फ़रवरी १९३८ को, आपने वैदेशिक-मंत्रि-पद से त्याग-पत्र दे दिया। तब उन्होने स्वर्गीय प्रधान मंत्री चेम्बरलेन की सन्तुष्टीकरण नीति (Appeasement policy) का दृढता से विरोध किया। सितम्बर १९३९ में उन्हे उपनिवेश-मंत्री (Minister for Dominions) बनाया गया। लार्ड लोथियन (संयुक्तराज्य अमरीका के राजदूत) की मृत्यु के बाद, जब वैदेशिक मंत्री लार्ड हेलीफेक्स को उनके स्थान पर राजदूत बनाकर अमरीका भेज दिया गया, तब श्री ईडन फिर वैदेशिक-मत्री बना दिये गये।