अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/गोवेल्स, डा० जोसफ
गोवेल्स, डा० जोसफ--नात्सी जर्मनी के प्रचार-विभाग का मत्री हैं।
नात्सी-दल में हिटलर तथा गोरिंग् के बाद डा० गोबेल्स का ही स्थान है।
राइनलैण्ड में एक निर्धन किसान-कुल मे, २९ अक्टूवर १८९७ को, गोवेल्स
का जन्म हुआ। गोवेल्स यद्यपि ग़रीब था परन्तु वह अनन्य विद्यानुरागी
था। अच्छी से अच्छी यूनिवर्सिटी में जाकर उसने शिक्षा प्राप्त की। सन्
१९२२ से पूर्व गोवेल्स, पत्रकार की हैसियत से, जीवन-निर्वाह करता था।
सन् १९२२ में वह नात्सी-दल में प्रचार-कार्य करने लगा और सन् १९२६ में
उसने उत्तरी जर्मनी मे नात्सी-दल का संगठन किया। इस समय हिटलर दक्षिणी
जर्मनी में कार्य कर रहा था। उसी वर्ष वह नात्सी दल का वर्लिन में स्थानीय
नेता बन गया। सन् १९२७ में डा० गोवेल्स ने बर्लिन से "दिर एग्रिफ'
(आक्रमण) नामक एक दैनिक पत्र निकाला। सन् १९२८ में वह राइख़ताग
(Reichstag--जर्मन पार्लमेट) का सदस्य चुना गया। सन् १९२६ में
वह नात्सी-दल का प्रचार-मंत्री नियुक्त किया गया। जब सन् १९३३ में हिटलर
ने जर्मनी का शासन अपने हाथ में लिया, तब वह जर्मन-सरकार का प्रचार-मंत्री नियुक्त किया गया। उसने बहुत शीघ्र जर्मनी के समाचार-पत्रों, साहित्य,
कला, रेडियो, संगीत, नाटक, चित्रपट तथा अन्य सांस्कृतिक क्षेत्रों परनात्सीवाद
का पूरा नियंत्रण स्थापित कर दिया। ऐसा प्रचार आज तक किसी देश में नहीं
हुआ। डा० गोवेल्स जर्मनी में प्रचार की व्यवस्था करता है। वह नात्सीवाद
के सिद्धान्तों को जनता में प्रचारित करता है तथा नात्सी-शासन की विशेषताएँ
बतलाता है। इसके अतिरिक्त विदेशो में भी वह ऐसा प्रचार करता है जिससे
लोगो में जर्मनी के प्रति सहानुभूति उत्पन्न हो। इस कार्य में रेडियो तथा
समाचार-पत्रों से विशेषतः काम लिया जाता है। वक्तृता में डा० गोवेल्स का स्थान बहुत ऊँचा है। उसके शब्दो में गूढ रहस्य तथा व्यंग्य रहता है। यदि
जर्मनी में गोरिंग शक्ति का प्रतीक है तो गोवेल्स नात्सी-दल के मस्तिष्क का।