अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/चेम्बरलेन, हौस्टन स्ट्यु अर्ट

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अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

[ ११७ ] चेम्बरलेन, हौस्टन स्ट्यु अर्ट--जर्मन राजनीतिक लेखक। राष्ट्रीय-समाजवाद के व्याख्याकर। सन् १८५५ मे जन्म हुआ। वर्साई और जिनेवा मे शिक्षा प्राप्त की। अन्ना हार्स्ट के साथ १८७८ मे विवाह किया। रिचार्ड बैगनर पर जर्मन तथा फ्रेंच भाषाओ मे पुस्तक लिखी। वियना मे रहकर अपनी प्रधान कृति 'उन्नीसवीं शताब्दी की बुनियादे' जर्मन भाषा मे लिखी। [ ११८ ]
सन् १९०८ मे उन्होने वैगनर की पुत्री से दूसरा विवाह किया। सन् १९२७ में उनका देहान्त होगया। हिटलर को अपने उत्थान में उनकी कृतियों से बड़ी प्रेरणा मिली हैं।

चेम्बरलेन, राइट आनरेव्ल् (Rt Hon) नेविल–-सन् १८६९ में जन्म हुआ। जोसफ चेम्बरलेन के पुत्र। रखी और मैसन कालिज बर्मिघम मे शिक्षा प्राप्त की। सन् १९११ मे बर्मिंघम की कौसिल के सदस्य बन गये और सन् १९१५ में उसके मेयर। यहाँ उन्होने भवन-निर्माण तथा व्यवस्था के सम्बन्ध मे ज्ञान प्राप्त किया। सन् १९१८ मे कॉमन-सभा के सदस्य चुने गये। सन् १९२२ में पोस्ट मास्टर जनरल हुए तथा १९२३ में स्वास्थ्य-मंत्री। सन् १९२३ के भवन-निर्माण-व्यवस्था कानून के बनाने में इन्हीका हाथ था। अस्वास्थ्यकर तथा गदे मकानों को नष्ट कराकर नये ढंग से स्वास्थ्यप्रद मकान बनवाने की योजना बनाई। सन् १९३१ में अर्थ-मत्री नियुक्त किये गये। २८ मई १९३७ को जब बाल्डविन ने त्याग-पत्र दे दिया तब बरतानवी साम्राज्य के प्रधान मंत्री हुए। ३१ अगस्त १९३७ को आप ब्रिटिश पार्लमेट मे अनुदार दल के नेता चुने गये।

चेम्बरलेन की वैदेशिक नीति का मूलाधार सोवियट रूस का बहिष्कार, समाजवादी-अभिमत का विरोध तथा जर्मनी एवं इटली के अधिनायको के साथ ऐसा व्यवहार था जिससे वे सन्तुष्ट होजायॅ और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना में सहायता दे। अपनी इस नीति का पालन करने में उन्होंने बड़ी तत्परता से काम लिया। इटली को प्रसन्न करने के लिये उन्होंने, सन् १९३५ में, उसके विरुद्ध राष्ट्र सघ द्वारा जारी की गई आर्थिक-दण्डाज्ञा का प्रयोग,बन्द कर दिया और ऐन्थनी ईडन, वैदेशिक-मत्री, को अपना पद छोड़ना पड़ा। स्पेन के गृह-युद्ध में ब्रिटेन को तटस्थ रखा, जर्मनी द्वारा आस्ट्रिया के अपहरण पर मौन धारण किया, चैकोस्लोवाकिया को कोई मदद नही दी तथा तीन बार हवाई यात्रा करके हिटलर से मिले और म्युनिख में समझौता किया। जब मार्च १९३९ मे हिटलर ने सम्पूर्ण चैकोस्लोवाकिया को अपने आधिपत्य में ले लिया तब उनकी ऑखे खुली और तब से उन्होने हिटलर के का विरोध करने का विचार किया। ब्रिटेन ने पोलेण्ड, रूमानिया,
[ ११९ ]यूनान और तुर्की को आक्रमणो से रक्षा करने का वचन दिया। रूस से भी मेल करने का प्रयत्न किया, परन्तु इस दिशा में हार्दिक प्रयत्न नहीं किया गया। उन्होने शान्ति की रक्षा के लिये ब्रिटेन के शस्त्रीकरण पर ज़ोर दिया। जब १ सितम्बर १९३९ को जर्मनी ने पोलैण्ड पर हमला किया तो ब्रिटेन ने भी जर्मनी के विरुद्ध युद्ध-घोषणा कर दी। पोलैण्ड के प्रश्न पर भी चेम्बरलेन ने अगस्त। १९३९ के अन्तिम सप्ताह में समझौता करने का भारी प्रयत्न किया। परन्तु हिटलर के आक्रमण से वह विचलित होगये और हिटलरवाद की कड़े शब्दो मे निंदा की। उन्होने युद्ध के बाद तुरन्त ही अपने भाषण में कहा कि ब्रिटेन का उद्देश्य नात्सीवाद का सर्वनाश करना है।

मई १९४० मे नार्वे मे ब्रिटिश-सेना की भारी पराजय से ब्रिटेन तथा मित्र-राष्ट्रो की जनता मे घोर नैराश्य छागया। कॉमन-सभा मे चेम्बरलेन की नीति तथा युद्ध-सचालन की कड़े शब्दो मे निदा की गई। पार्लमेट का बहुमत उनके विरुद्ध होगया और जो सदस्य सरकार के समर्थक थे वे विरोधी दल मे मिल गये। युद्ध-मत्री आदि

ने मि० चेम्बरलेन का साथ देना बन्द कर दिया। अतः चेम्बरलेन को प्रधान-मत्रित्व से त्याग-पत्र देना पड़ा। विन्स्टन चर्चिल प्रधान मंत्री नियुक्त किये गये। चेम्बरलेन कौसिल के लार्ड प्रेसीडेन्ट नियुक्त किये गये। परन्तु स्वास्थ्य ख़राब होजाने के कारण उन्होने ३ अक्टूबर १९४० को इस पद से त्याग-पत्र दे दिया। ९ नवम्बर १९४० को चेम्बरलेन का देहान्त होगया।