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अयोध्या का इतिहास/उपसंहार/(ण) मौर्य वंश

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प्रयाग: हिंदुस्तानी एकेडमी, पृष्ठ २३५

 

 

उपसंहार (ण)
मौर्यवंश

१—चन्द्रगुप्त २४ वर्ष (ई॰ पू॰ ३२२ से ई॰ पू॰ २९८ तक)।

२—विन्दुसार (भद्रसार) २५ वर्ष (ई॰ पू॰ २९८ से ई॰ पू॰ २७३ तक)।

३—अशोक ३६ वर्ष (ई॰ पू॰ २७३ से ई॰ पू॰ २३७ तक)।

४—दशरथ (वन्धुपालित) ८ वर्ष (ई॰ पू॰ २३७ से ई॰ पू॰ २२९ तक)।

५—सम्प्रति (संगत या इन्द्रपालित) ९ वर्ष (ई॰ पू॰ २२९ से ई॰ पू॰ २२० तक)।

६—शालिशूक १३ वर्ष (ई॰ पू॰ २२० से ई॰ पू॰ २०७ तक)।

७—देवधर्म।

८—शतधन्वन्।

९—बृहद्रथ ७ वर्ष (ई॰ पू॰ १९२ से ई॰ पू॰ १८५ तक)।

वृहद्रथ को उसके सेनापति पुष्यमित्र ने मार डाला और आप राजा बन बैठा। उसी से शुङ्गवंश चला।