इतिहास तिमिरनाशक 2/लार्ड ऐलनबरा

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लार्डऐलनबरा

इस अ़र्समेंलार्ड अकलैंड विलायत चला गया। और लार्ड एलनबरा आखिर फेब्रुअरी में उसको जगह गवर्नर जेनरल १८४२ई० मुक़र्रर होकर भाया। लार्ड अकलैंड मे जानेसे पहले जलाला- बादवालों की कुमक के लिये पिशावर में फ़ौज जमा होने का हुक्म जारी कर दिया था। लेकिन अब एक दफा फिरकाबुल तक जाना और अफगानों को सर्कारी फौज का ज़ोर दिखला देना बहुत मुनासिब समझा गया। यहफ़ौज अप्रैलमें जेनरल पालक के साथ पिथावर से काबुल को तरफ रवाना हुई पालक साहिब घाटों में पहले ही से कुछ कम्पनियां पल्टनों को दुतरफ़ा पहाड़ोंपर चढ़ादेते थे। इस बाइसअफगानंऊपरसे मोलियां नहीं चला सकते थे अगर चलाने को जमा भी होते सकारी सिपाही उनकी खूब खबरलेते थे। सोलहवीं अप्रेलको जलालाबाद में दाखिल हुए। क़िलेवालों के गोया सूखेहुएखेत फिर लहलहाये। अगस्त तफ़ौज उसीजगहठहरीरही। अगस्त में फिर आगे बढ़ी। रास्ते में अक्बरखाँ ने सोलह हज़ारअफ् गानों के साथ सर्कारी फ़ौज का मुकाबला किया लेकिन कुछ पेश न गयी भागना पड़ा। पंदरहवीं सितम्बर को सारीफ़ौज
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काबुल में दाख़िल हुई और सोलहवींको बालाहिंसारपरसकारी निशान चढ़ाया। शाहशुजा को नव्वाब ज़मांखां के बड़ेबेटेने मार्च ही महीने में मार डाला था शुजा बालाहिसार से निक- लकर उस के साथ अपने लश्कर की तरफ़ जाता था उस ने रास्ते में उस पर दुनाली बंदूक़ चला दी। पसअबसर्कारी फ़ौज को सिर्फ अपने कैदियों की रिहाई बाकी रह गयी। सिवाय इस के और कुछ भी अफगानिस्तान में काम न था उधरसिंघ से कुछ फ़ौज लेकर जेनरल इंगलैंड जेनरल नाट को कुमकको क़न्दहार पहुंच गया था लेकिन जेनरल नाटने बहुतसेआदमी जेनरल इंगलैड के साथ सिंध को लौटा दिये सिर्फ थोड़ेसे चुने हुए सिपाही लेकर जेनरल पालक से शामिल होने को काबुल की तरफ़कूच किया। वयही कहताथा कि एक हज़ार सर्कारी सिपाही पांच हज़ार अपयानों के भगाने को बहुत काफ़ी है निदान जेनरल नाट भी लड़ता भिड़ता पमानों को हरतरफ गिरिता भगाता रास्ते में ग़ज़नी का किला तोड़ता फोड़तामह- मूद गज़नवी के मकबरे से सोमनाथ के संदली किवाड़ लेता सत्तरवीं सितम्बर को काबुल में आ दाखिल हुआ। अकबरखां ने तमाम अंगरेज़ मेम और बाबा लोगों को जो उसके काबू मेथे एक अशान सालिहमुहम्मदखाके साथ बामियान्कीतरफ़ भेज दिया था उस का इरादा था कि इन्हें तुहफ़ा के तौरपर गुलामी के लिये तूरानी सदारों को बांट दे। लेकिन सालिह- मुहम्मद इन से मिल गया बीस हजार नकद और हज़ाररुपये माहवारी पिंशन के वाटेपर सही सालिम सकारी फोनमेंपहुंचा दिया जेनरल एलफिंस्टन मर गया था तो भी सिवाय साहिब लोगों के लेडी मेकनाटन और लेडी सेल समेत तेरह मेम ओर उन्नीस लड़के इन कैदियों में थे। निदान इन कैदियोंको लेकर सारी फौज फ़तह फोरोज़ी के निशान उड़ाती फीरोज़पुरचली आयी गवर्नर जेनरल ने दोस्तमुहम्मदकोभी छोड़दिया। सर्कार का इस लड़ाई में कम से कम सत्तरह करोड़ रुपया खर्च पड़ा। [ ६५ ]सिन्ध के अमीरों से सन १८३२ में मकार का यह अ़ह्द पैमान होगया था कि सिन्ध नदीकी राह बेशकसर्कारीआदमी आवें जावें। लेकिन न कोई जंगी जहाज़ उसमें लावें और न लड़ाई का सामान उधर से कहीं को ले जावें। सन् १८३८ में यह भी ठहर गया कि एक सर्कारी रज़ीडंट वहां रहा करे। लेकिन जब सर्कार को मालूम हुआ कि ये अमीर ईरान के बादशाह से खत किताबत करते हैं लार्ड अकलैंडने सर्कारी फ़ौज काबुल जाने के वक्त उनसे एक अहदनामा इस मज़मून का लिखवा लिया कि कुछ किसी क़दर सर्कारी फ़ौज उन के इलाके में रहा करे और उसका खर्च उन्हीं के ज़िम्मेदाररह। अमीर इस पर भी अपनी हर्कत से बाज़ न आये। काबुलकीलड़ाइयों में सर्कार के दुश्मनों से साज़िस करने लगे। ओरसारकोयह भी खबर पहुंची कि सिन्धु नदी पर अह्नामे के खिलाफ महसूल लगाते हैं निदान सन् १८४२ में लार्ड एलनबराने उन से इस मजमून का अदनामा तलब किया कि फोज ख़र्च के बदल वह कुछ मुलक सार की नज़र करें सिक्का सर्कार का जारी करें। और जो यूशं की नाव सिन्धु नदी में चलें उनके लिये जलाने को लकड़ी देंन दें तो नाववालेजहां जापेड़ पार्वे काट लें। अमीरों ने इस अहदनामे पर भीमुहर कादीलेकिन उन के बलूची सर्दार इस बात से बहुत नाखुशहुए मेजरऊट- रम वहां रज़ीडंट था। ओर सर चार्लस नेपिअर वहाँके इन्ति- ज़ाम के लिये कुछ फौज लेकर सिन्ध की राजधानी हैदराबाद के पास पहुंच चुका था। अमीरों ने मेजर ऊटरम से साफ़ कह दिया कि सर चार्लस नेपिअर अगर हैदराबाद की तरफ़बढ़ेगा बलूची बलवा करेंगे सर चार्लस नेपिअर कब रुकनेवाला था। पन्टरहवीं फेब्रुअरीको बलूचियोंने बलवाकिया और रज़ीडंटी १८४३ ई० को जा घेरा। रज़ीडंट तो अपने आदमियों समेत नदीमें धूएं की नाव पर चला गया। लेकिनअसबाबकाबहुतनुकसानहुआ। जब सर चार्लस नेपिअर हैदराबाद से तीनकोस पर मियानीमें पहुंचा देखा कि अमीरों की फ़ौज बीस हज़ारसे जियादाबहुत
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मज़बूती के साथ पड़ी है इस को सिपाह तीन हज़ार में भी कम थी लेकिन शेर क्या गीदड़ों की गिनती से हिचकता हे फ़ौरन हमला कर दिया सख़्त लड़ाई हुई। अमीरों की फ़ौज ने शिकस्त खायी। पांच हजार खेतरहे बाक़ीभागगयीसार्कारी कुल बासठ आदमी काम आये। लड़ाई के बाद छ अमीरों ने अपने तई सर चार्लस नेपिअर के हवाले कर दिया। औरवह फ़तह फ़ीरोज़ी के साथ हैदराबादमें दाख़िलहुआ दूसरेमहीने में सर चार्लस नेपिअर ने इसी तरह डब्बा की लड़ाई में मीरपुर के अमीर को शिकस्त देकर मीरपुर में दख़ल किया। और कुछ सवार सिपाही भेजकर अमरकोट का मज़बूतक़िला ले लिया। जो कोई अमीरों में से इधर उधर बचरहाथा धीरे धीरे हर एक सर्कारकी कैदमें चलाआया। और सिन्धबिल्कुल सर्कारी अमल्दारी में शामिल होगया।

इसी साल के अंदर ग्वालियर में दौलतराव सेंधिया का जानशीन झुनकूजीराव सेंधिया बे औलाद मरगया।उसकीरानी ताराबाई ने जो खुद तेरह बरस की थी एक अपनारिश्तेदार लड़का आठ बरस का जयाजीराव गोद लेकर उसे गद्दी पर बिठा दिया साहिब रज़ीडंट की सलाह से महाराजका मामू यानी मामा साहिब राज का काम अंजाम देने लगा। लेकिन दादा ख़ासगीवाले ने रानी से मिलकर मामा साहिबको निक लवा दिया ओर काम सब अपने हाथमें लिया। साहिबरज़ी- डंट ने यहहाल देखकर धौलपुरकोअमलदारीमैंदेराजा किया। सेंधिया की फ़ौज में फूट पड़ी कुछ लोगतो दादा ख़ासगीवाले की तरफ़ थे। और कुछ बाप सितोलिया को तरफ़ दोदिनतक आपस में गोले चलते रहे आख़िर रानी ने फ़ौज को आपसकी लड़ाई से रोका। दादा ख़ासगीवाला कैद करके आगरेभेजागया और बापू सितौलिया दीवान हुआ। इस अर्सेमें गवर्नरजेनरल का लश्कर ग्वालियर की सर्हद्द पर पहुंच गया था। लार्डएल- नबरा नो ऐसा अच्छा मौक़ा इस ग्वालियर की तरफकाखटका मिटाने का हाथसे जाने देना मुनासिब न समझा क्योकिउधर,
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पंजाबमें भी फ़साद उठनेवाला म़ालूम होताथा। ग्वालियरवालो से साफ़ कहलाभेजा कि अगर सुलह रखनी मंजूरहे तो ग्वालि- यर में सर्कारी कांटिजेंट की फ़ौज बढ़ादी। और उस के ख़र्च के लिये कुछ इलाके सर्कार के हवाले करो। और फिर साथही इस मज़मून का इश्तिहार देकर कि सर्कारी फ़ौज महाराजकी हिफ़ाज़त के लिये पायी हे ग्वालियर की तरफ कूच किया। उन्तीसवीं दिसम्बर को महाराजपुर और पनिअर में सेंधिया की फ़ौजसे मुकाबला हुआ। खूब सख़्त लड़ाई हुई। सेंधिया की फ़ौज ने हर तरफ से शिकस्त खायी। पाँचवीं जनवरी को १८४४ ई० गवर्नर जेनरल ग्वालियर में दाखिल हुए सेंधिया ने नया अ़ह्दनामा लिख दिया कि जब तक वह अठारह बरस का न हो काम राजका रजीडंट को सलाह मुताबिक़ अहलकार अंजाम दें। कोटिंजेंट को फ़ोज बढ़ा दी जाय उसके खर्चो लिये कुछ इलाके सर्कार जुदा करले महाराज की सिपाह नौ हजार से कभी ज़ियादा न होने पावे और तोप बारह जंगी और कुल बीस ऐसी वैसी रहे श। लार्ड एलनबरा ग्वालियर की मुहिम्म तै करके कलकत्ते मुड़ गया लेकिन वहां विलायत से उसकी बदली का हुक्म आया। उसकी जगह पर सर हेनरी हार्डिंग गवर्नर जेनरल मुक़र्रर हुआ।