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कवि-रहस्य

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कवि-रहस्य  (1950) 
गंगानाथ झा

इलाहाबाद: हिन्दुस्तानी एकेडमी, पृष्ठ - से – विषयसूची तक

 
स्वर्गीय महामहोपाध्याय डॉ° गंगानाथ झा

हिंदुस्तानी एकेडेमी व्याख्यानमाला-४


कवि-रहस्य

अर्थात् प्राचीन समय में कवि-शिक्षा-प्रणाली

व्याख्यानदाता

महामहोपाध्याय गङ्गानाथ झा

एम० ए०, डी० लिट्०





१९५०

हिंदुस्तानी एकेडेमी

उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद

प्रथम मुद्रण : १९२९
द्वितीय मुद्रण : १९५०





मूल्य दो रुपये






मुद्रक—रामप्रताप त्रिपाठी, सम्मेलन मुद्रणालय, प्रयाग

हिंदुस्तानी एकेडेमी की ओर से समय समय पर विविध विषयों पर व्याख्यानमालाओं का आयोजन किया जाता रहा है । प्रस्तुत विषय पर १९२८-२९ ई० में डा० गंगानाथ झा ने व्याख्यान दिए थे जिनको संग्रहीत कर पुस्तक रूप में एकेडेमी ने प्रकाशित किया था । उसका पुनर्मुद्रण पाठकों के सामने है ।

स्व० डा० गंगानाथ झा की मृत्यु के पश्चात उनके गहन अध्ययन उनकी प्रकांड विद्वत्ता और उनके विशाल व्यक्तित्व का अभाव आज तक पूरा नहीं हो सका है । प्राचीनतम संस्कृति और पुरातन विद्याओं में उनकी सूक्ष्मगति थी । आज की सांस्कृतिक और शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं पर उनके अपने मौलिक विचार थे । उन्होंने अपने समय में उत्तर भारत में शिक्षा सम्बन्धी प्रगति में जैसा सक्रिय सहयोग दिया था वह चिरस्मरणीय है ।

प्रस्तुत पुस्तक में पूर्व मध्यकालीन कवि की शिक्षा दीक्षा और उससे संबंधित कथाओं, किंवदंतियाँ और परम्पराओं का विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण है । पुस्तक के प्रत्येक स्थल पर उनके गहन अध्ययन और गम्भीर चिंतन की छाप है ।

हिंदुस्तानी एकेडेमी
धीरेन्द्र वर्मा
 
उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद
मंत्री तथा कोषाध्यक्ष
 
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विषय-सूची


उपोद्घात

कवि-रहस्य


'वाड्मय' स्वरूप
'काव्य पुरूष'--'साहित्य वधू'--संयोग
'शिष्य' भेद
'काव्य' की उत्पत्ति
'कवि' लक्षण तथा भेद
'शब्द' स्वरूप
'काव्य' पढ़ने के ढ़ग
'काव्यार्थ' के मूल
'साहित्य' का विषय

कविचर्या-राजचर्या


'कवि' का कर्त्तव्य
कवित्व-शिक्षा
'राजा' का कर्त्तव्य
'चोरी'
'कवि सयम'
देश-विभाग
काल-विभाग
नानाशास्त्र-परिचय

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