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गल्प समुच्चय/ ६—पं॰ विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक

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गल्प समुच्चय
प्रेमचंद, संपादक श्रीप्रेमचन्द जी
पं॰ विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक

काशी: सरस्वती-प्रेस, बनारस सिटी, पृष्ठ २०७

 

६—पं॰ विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक

आप कानपूर के निवासी हैं। आपकी कहानियाँ प्रायः हिन्दी-मासिक-पत्रिकाओं में निकलती रहती हैं। 'गल्प-मन्दिर' और 'चित्रशाला'——ये दो संग्रह आपकी कहानियों के प्रकाशित हो चुके हैं। कुछ दिनों तक आपने 'मनोरंजन' मासिक-पत्र का बड़ी योग्यता से सम्पादन किया। आपकी कहानियों में बहुधा निम्न-श्रेणी के चरित्रों का चित्रण होता है। आपकी कला की विशेषता संभाषण है। संभाषणों-द्वारा ही आपने कई ड्रामे लिखे हैं। आपका एक उपन्यास धारा-वाहिक रूप में 'सुधा' में निकला था, जो अब पुस्तक रूप में भी छप गया।