चतुरी चमार

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[ आवरण-पृष्ठ ] 

चतुरी चमार

 

सूर्यकान्त त्रिपाठी, 'निराला'

 
 

प्रकाशक
किताब महल ● इलाहाबाद

[ प्रकाशक ] 

प्रथम संस्करण, १९४५
द्वितीय संस्करण, १९४७

 

मुद्रक——जे॰ के॰ शर्मा, इलाहाबाद लॉ जनेल प्रेस, इलाहाबाद
प्रकाशक——किताब महल, ५६-ए, ज़ीरो रोड, इलाहाबाद

[ आवेदन ] 

आवेदन

'चतुरी चमार' नाम का कहानी-संग्रह पाठकों के सामने है। पहली कहानी 'चतुरी चमार' की हिन्दी-साहित्य में काफ़ी चर्चा हो चुकी है। आलोचक अनेकानेक निबन्धों में इसकी प्रशंसा कर चुके हैं। संग्रहकार अपने संग्रहों में इसको स्थान दे चुके हैं। यही 'देवी' कहानी का है। पाठक पढ़ने पर इनके तथा अन्य कहानियों के मूल्य का हिसाब स्वयं लगा लेंगे। मैंने स्थायी साहित्य के सर्जन के विचार से ये कहानियाँ लिखी हैं। पढ़ने पर पाठकों का श्रम सार्थक होगा, मुझको विश्वास है। भाषा, भाव और विषय के विवेचन में कहानियों के साथ उनका मन पुष्ट होगा। कला अपने आप उनको ऊँचा उठायेगी और उनका मनोरञ्जन करेगी। उनका श्रम साहित्य ज्ञानार्जन से सार्थक होगा।

इलाहाबाद
२०–३–४५

सूर्यकान्त त्रिपाठी, 'निराला'

[ विषय-सूची ] 

ता लि का

पृष्ठ

चतुरी चमार
सखी १८
न्याय २६
राजा साहब को ठेंगा दिखाया ३४
देवी ३८
स्वामी सारदानंदजी महाराज और मैं ५०
सफलता ५९
भक्त और भगवान् ७१

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