चन्द्रगुप्त मौर्य्य/स्वर-लिपि

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चन्द्रगुप्त मौर्य्य  (1932) 
द्वारा जयशंकर प्रसाद

[ २२३ ]




स्वर-लिपि
स्वर-योजक]
संगीताचार्य्य लक्ष्मणदास
'मुनीमजी'

[ स्वर-संकेत ]स्वर-लिपि के संकेत-चिह्नों का ब्योरा ।

१-जिन स्वरो के नीचे विन्दु हो, वे मद्र सप्तक के ; जिसमे कोई विन्दु न हो, वे मध्य सप्तक के हैं तथा जिनके ऊपर विन्दु हो, वे तार सप्तक के है । जैसे---सु, स, से। | २--जिन स्वरो के नीचे लकीर हो, वे कोमल है । जैसे–रे, ग, घु, नि । जिनमें कोई चिह्न न हो, वे शुद्ध हैं। जैसे---रे, ग, ध, नि । ती मध्यम के ऊपर खडी पाई रहती है---4।। ३--आलकारिक स्वर ( गमक ) प्रधान स्वर के ऊपर दिया है। यथा--ध, म । १ म प । ४---जिन स्वरो के आगे बेडी पाई हो -' उसे उतनी मात्रा तक दीर्घ करना, जितनी पाइयाँ हो । जैसे---स----, रे--, ग-~- ५---जिस अक्षर के आगे जितने अवग्रह 5 हो, उतनी मात्रा तक दीर्घ करना । जैसे--रा 5 भ, सरवी ss, आ ss ज । | ६-" इस चिह्न में जितने स्वर या बोल रहे, वे एक मात्रा- काल में गाए, या बजाए जाएँगे । जैसे सरे, ग म ।। (७---जिस स्वर के ऊपर से किसी दूसरे स्वर तक चन्द्राकार लकीर जाय, वहाँ से वहाँ तक मीड समझना । जैसे---स----म, रे--प इत्यादि । ८--सम का चिह्न ४, ताल के लिए अक और खाली का द्योतक ० है । इनका विभाजन खड़ी लम्बी रेखाओ से दिखाया गया है। ९-३' यह विश्रान्ति का चिह्न है। ऐसे जितने चिह्न हो, उतने मान-काल तक विश्रान्ति जाननी । - - - - ३० १५ [ स्वर-संकेत ]( पृष्ठ ६३ ) खम्माच-तीन ताल स्थायी V४॥ रे ग | स रे तु म | क न स क म | ग ग ग कि | र ए के -- ६ स स ग । म 5 | लु म प प प ध क छि प | क र | म --- प प } -- प म अ इ त रा । ल से नि ध प म ग -- ते 5 हो ; } क्यों s अन्तरा ग म । ध -- घ घ | ध --- घ ६ न त । में 5 स्त के 5 छ नि ध नि | प --- ह न क र | ते 5 नि ध प म ग --

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यौ 5 | व न प के - प 5 | ध ध न सं स र से F IE [ स्वर-संकेत ]( पृष्ठ ६४ ) जौनपुरी-टोड़ी-तीन ताले | स्थायी ३ ३ ॥ ५॥ ths) अ । है, ले प -- प धु आ 5 है, रे से नि स सी 5 त, श घ -- प प बी 5 च त प -- प । भी 5 त, प म ग रे। म में | रे म प ध क ल म त ध से --- स स -- सरे ग गे s गा s | तुझे 5 हैं । सी 5 काः ६ स स रे --- ग ग रे --- स - नि ---- र द नीs | र ६ मा ६ ला 5 के ६ ग रे स ---- | रे रे म --- १ -- ध ध ड प ले च १ ला 5 सी 5 भ य 4) As to E अन्तरा = =-=-=- =- ध १ मप ध प ६ ४ प । डू र हे ए ६ वे न प्रेऽ 5 में फ स --- स नि | नि नि नि नि । नि नि स --- निस रे सरे ग हा 5 र, ज ल न कु छ । कु छ है : रेंस नि ध प ध प म ग रे । स रे म म । र, स । म्हा इ ले 5 च ल कि त । नी ६ है है से -- स ग गे । ५. * ग रे स स | निस रे म ध प । स ९ । नस में चप में ध प म ६ : र, प्र । ल य त क । व्या 5 55 कुल । हो 5 न को हि अ धी 5 र आगे के चारो पद भी इसी प्रकार से गाए जायेंगे । [ स्वर-संकेत ]( पृष्ठ १०० ) सिन्ध भैरवी--तीन ताल स्थायी mr || स रे स स । ध नि ध प ध ---- नि नि ह । म अ रु ण य धु म य । दे 5 श है X स स स स । - रे | गं - म म । 5 प य है, । ज हाँ हुँ च अ न । | नि स ध प | |--नि ए ई के से को 5 | मि ल ता 5 स -- स, स | स रे मा ६, रा अ । रु प रे -- ग म जा 5 न क्षि । ति स --- स, हा 5 रा, । rel IE 2 17 अन्तरा स । स रे अ । रु ण स स, | स रे स रे -- ग ता | 5 म र स य है, | स र स न E । । ) he | tv 4 ध --- स स | नि स ध प रे -- ग म | ग रे ना 5 च र ! ही 5 ग 5 र्भ वि | भा : प र प प प -- ५ स स - स नि स रे ग स स गि खा 5 स | नो ऽ ऽऽ ह र । छि ट का 5 ! जी 5 व म प ग म रे ग रे स । नि स ध प | ध -- नि नि में ग ल ! के 5 कु म है रि या 5 | ली 5 प र, स -- स । सा 5 रा, ( ) [ स्वर-संकेत ]( पृष्ठ १२३ ) मिश्रित भैरवी–कहरवा ताल, स्थायी | रे । स स स -- | रे म म म । म --पं थ म यी ६ | व न म दि । रा 5 -- से 5 प प ध प म रे ग स -- स रे । ग म म 5 ते प्रे ! 5 म ग रे क र ने 5 स -- स, रे । स स की s | थी 5 प र वा 5 ह औ | s र कि स । को 5 म -- प ---- ध प प दे 5 | ना s ध प म रे ग । स --- स रे है हृ दे य, ची। 5 न्ह ग म ग रे ने 5 की 5 न त ! नि क थी 5 F NE BE} " स --- स चा 5 है, अन्तरा [ धे । म म म --- | ध --- ध -- ध ध नि बे । ऽ च डा 5 | ला 5 था इ । हृ द य ध । अ । 4. || | -- नि नि नि । ध -- नि नि | ध नि स ध -- मो 5 ल आ । 5 ज व ह । मा s ग र ! हा प -- प, म । ग रे स -- 5 ऽ था 5 | रे म दा ६ - म । म -- प प म, वे | 5 द ना 5 | मि ली ६ प प तु ; ला ध प म । 5 १ र | रे ग । स --- स रे तो s ल, उ । से 5 लो 5 | भी । ग म ग रे। 5 ने 5 | ली 5 वे 5 से -- स, का ६ म, [ स्वर-संकेत ]( पृष्ठ १५५ } धुन कजली--कहरवा ताल स्थायी स । --- स नि नि । स बा । 5 ज इ स य - ग ग ग म व न । के 5 प ६ मा ६. । ग म --- ७ वी ६ ग । ---- ग २ -- | रे ग म प ग म | रे ग नि स कु । --- ज में 5 को इऽऽ कि ल । वो 5 ल र

५।

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( पृष्ठ १८५ ) बिहारी-तीन ताल स्थायी 7 | रे म प ध १ म । ५ की ३ | ए इ इ इ क कृ 5 का 5 )

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( पृष्ठ १८५ ) कान्हरा----तीन ताल स्थायी २ नि ०३ म | रे रे स -- | नि --- स --- { नि म रे प | ब ! ज र ही 5 व 5 शी 5 | आ ठो यो म म ग -------, म | रे रे म ---, नि स रे स | निस र ध नि की 5 5, ब | ज र ही 5, अ ब त क गू ऽऽ ज र प -- म पु । स -- स --- | रे --- ही 5 हैs | वो 5 ली 5 | प्या 5 रे s | मु ख अ भि Eि ( | | । --- -- म | रे -- स ---, रा 5 ; म { की s ss, न - म --- व 5 सी 5 ! रे स २ प आ को मा म ---, 5 की [ स्वर-संकेत ]________________

अन्तरां म | रे रे में - | भ प बे ! ज र ही 5, नि नि --- प ध ध नि नि 5 च प ल मृग स --- म स | रे नि म ने s न मो | s ह व म | रे रे -- रे । र --- म प श | ब जी 5 वि | प ऽवं 5 5 4 14 1 ग ---- ---- म | रे --- म --- | नि सं रे स ध नि १ -- 5 5 म ! 'की 5 5 5, रू 5 प सु धा ऽ के 5 नि नि | ग म रे स | नि -- -- दृ ग | प्या 5 लो 5 | ने 5 ही s ! म ति | वेऽ 5 , 4 | ग -- -- म । रे -- स - नि --- स -- | रे से रे ग का 5 5 में की 5 5 5, | व 5 गी 5 | आ ठो या म की 5 5, ।