चाँदी की डिबिया/अंक १/१

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चाँदी की डिबिया  (1930) 
द्वारा जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक प्रेमचंद

[  ]


अंक १
दृश्य १


परदा उठता है, और वार्थिविक का नए ढंग से सजा हुआ बड़ा खाने का कमरा दिखाई देता है। खिड़की के परदे खिचे हुए हैं। बिजली की रौशनी हो रही है। एक बड़ी गोल खाने की मेज़ पर एक तश्तरी रक्खी हुई है, जिसमें व्हिस्की, एक नलकी और एक चाँदी की सिगरेट की डिबिया है। आधी रात गुज़र चुकी है।


वज़ार दकेबाहर कुछ हल चल सुनाई देती है। दरवाज़ा झोंके से खुलता है; जैक वार्थिविक कमरे में इस तरह आता है, मानो गिर पड़ा है।। वह दरवाज़े का कुण्डा पकड़कर खड़ा सामने देख रहा है और आनन्द से मुसकुरा रहा है। वह शाम के कपड़े पहिने हुए है, और वह हैट लगाए हुए है जो तमाशा देखते वक्त लगाई जाती है। उसके हाथ में एक नीले रंग का मख़मल का ज़नाना बटुआ है। उसके लड़कोंधे चेहरे पर ताज़गी झलक रही है। डाढ़ी और मूँछ मुड़ी हुई है। उसके वाजू पर एक ओवरकोट लटक रहा है। [  ]

जैक

अहा! मैं मज़े से घर पहुँच गया--

[विवाद के भाव से]

कौन कहता है, कि मैं बिना मदद के दरवाजा नहीं खोल सकता था?

[वह लड़खड़ाता है, बटुए को झुलाता हुआ अन्दर आता है। एक ज़नाना रूमाल और लाल रेशम की थैली गिर पड़ती है।]


खूब झाँसा दिया--सभी चीज़ गिरी पड़ती हैं। कैसा चकमा दिया है चुड़ैल को, उसका बेग साफ़ उड़ा लाया,

[बटुए को झुलाता है।]


खूब झाँसा दिया,

[चाँदी की डिबिया से एक सिगरेट निकाल कर मुँह में रख लेता है।]


उस गधे को कभी कुछ नहीं दिया! [  ] [अपनी जेब टटोलता है और एक शिलिङ्ग बाहर निकालता है। वह उसके हाथ से छूटकर गिर पड़ती है, और लुढ़क जाती है। वह उसे खोजता है।]

इस शिलिंग का बुरा हो!

[फिर खोजता है।]

एहसान को भूलना नीचता है ! मगर कुछ भी नहीं,

[वह हँसता है।]

मैं उससे कह दूँगा कि मेरे पास कुछ भी नहीं है।

[वह दरवाज़े से रगड़ता हुआ निकलता है, और दालान से होता दुआ , ज़रा देर लौट आता है। उसके पीछे-पीछे जोन्स आता है, जो नशे में चूर है। जोन्स की उम्र लगभग तीस साल है। गाल पिचके हुए, आँखों के गिर्द गड्ढे पड़े हुए, कपड़े फटे हुए हैं, वह इस तरह ताकता है जैसे बेकार हो और पिछलगुए की भाँति कमरे में आता है।]

जैक


शिः और चाहे जो कुछ करो मगर शोर मत करना। दरवाज़ा बन्द कर दो और थोड़ी-सी पियो। [  ]

[बड़ी गंभीरता से।]


तुमने मुझे दरवाज़ा खोलने मैं मदद दी--मगर मेरे पास कुछ है नहीं। यह मेरा घर है, मेरे बाप का नाम वार्थिविक है--वह पार्लिमेंट का मेम्बर हैं उदार--मेम्बर है। यह मैं तुमसे पहिले ही बता चुका। थोड़ी--सी पियो

[वह शराब ढालता है, और पी जाता है।]


मुझे नशा नहीं है,

[सोफा पर लेटकर।]


कोई हर्ज नहीं। तुम्हारा क्या नाम है? मेरा नाम वार्थिविक है, मेरे बाप का भी यही नाम है; मैं भी लिबरल हूँ।--तुम क्या हो?

जोन्स

[भारी तेज़ आवाज़ में।]


मैं तो पक्का 'अनुदार' हूँ। मेरा नाम है जोन्स। मेरी बीबी यहाँ काम करती है; वह मज़दूरनी है, यहाँ काम करती है। [  ]

जैक


जोन्स?

[हँसता है।]


एक दूसरा जोन्स मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता है। मैं खुद साम्यवादी नहीं हूँ। मैं लिबरल हूँ।--दोनों में बहुत कम अन्तर है। क्योंकि लिबरल दल के सिद्धान्त ही ये हैं। हम सब क़ानून के सामने बराबर हैं--बेहूदी बात है, बिलकुल वाहियात,

[हँसता है।]


मैं क्या कहने जा रहा था। मुझे थोड़ी सी व्हिस्की दो।

[जोन्स उसे व्हिस्की देता है, और नलकी से पानी का छींटा मारता है।]


मैं तुमसे यह कहने जा रहा था, कि मेरी उससे तकरार हो गई।

[बटुए को झुलाता है।]


थोड़ी सी पीलो जोन्स--तुम्हारे बग़ैर यह काम ही न हो सकता--इसी से मैं तुम्हें पिला रहा हूँ। [  ]अगर कोई जान भी जाय, कि मैंने उसके रुपये उड़ा दिए, तो क्या परवा। चुडैल!

[सोफ़ा पर पैर रख लेता है।]

शोर मत करो और जो चाहे सो करो। शराब उंडेलो और ख़ूब डटकर पियो। सिगरेट लो, जो चाहे सो लो। तुम्हारे बग़ैर वह हरगिज़ न फँसती।

[आँखे बन्द करके।]

तुम टोरी हो, मैं ख़ुद लिबरल हूं, थोड़ी-सी पियो।-मैं बड़ा बाँका आदमी हूँ।

[उसका सिर पीछे की तरफ़ लटक जाता है, वह मुसकुराता हुआ सो जाता है, और जोन्स खड़ा होकर उसकी तरफ़ ताकता है; तब जैक के हाथ से गिलास छीनकर पी जाता है। वह बटुए को जैक की कमीज़ के सामने से उठा लेता है। उसे रोशनी में देखता है और सूँघता है।]

जोन्स

जआ किसी अच्छे आदमी का मुँह देखकर उठा था। [  ][ जैक के सामने की जेब में उसे ठूस देता है ]

जैक

[ बड़बड़ाता हुआ। ]

चुडैल! कैसा चकमा दिया।

[ जैक चारों तरफ़ कनखियों से देखता है, वह व्हिस्की उँडेलकर पी जाता है तब चाँदी की डिबिया से एक सिगरेट निकाल कर दो एक दम लगाता है, और व्हिस्की पीता है फिर उसे बिलकुल होश नहीं रहता।]

जोन्स

बड़ी अच्छी-अच्छी चीज़ें जमा की हैं,

[ वह ज़मीन पर पड़ी हुई लाल थैली को देखता है। ]

है माल बढ़िया।

[ वह उसे ऊँगली से छूता है, किश्ती में रख देता है और जैक की तरफ ताकता है। ]

है मोटा आसामी। [  ][ वह आईने में अपनी सूरत देखता है। अपने हाथ उठाकर और उंगलियों को फैलाकर वह उसकी तरफ़ झुकता है; तब फिर मुट्ठी बांँधकर जैक की तरफ ताकता है, मानो नींद में उसके मुसकुराते हुए चेहरे पर घूंसा मारना चाहता है। एकाएक वह बाक़ी बची हुई ह्विस्की ग्लास में उँडेलता है और पी जाता है। तब कपटमय हर्ष के साथ वह चाँदी की डिबिया और थैली उठाकर जेब में रख लेता है। ]

बचा मैं तुम्हें चरका दूंँगा। इस फेर में न रहना।

[ गुरगुराती हुई हँसी के साथ वह दरवाज़े की ओर लड़खाता हुआ जाता है। उसका कंधा स्विच से टकरा जाता है, रोशनी बुझ जाती है। किसी बन्द होते हुए दरवाज़े की आवाज़ सुनाई देती है। ]

परदा गिरता है।

परदा फिर तुरन्त उठता है।