चाँदी की डिबिया/अंक १/२

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चाँदी की डिबिया  (1930) 
द्वारा जॉन गाल्सवर्दी, अनुवादक प्रेमचंद
[  ]

दृश्य २

[ वार्थिविक का खाने का कमरा। जैक अभी तक सोया हुआ है। सुबह की रौशनी परदों से होकर आ रही हैं। सुबह की रोशनी परदों से होकर आ रही है। समय साढ़े आठ बजे का है। ह्वीलर जो एक फुर्तीली औरत है, कूड़े की टोकरी लिये आती है। और मिसेज़ जोन्स आहिस्ता-आहिस्ता कोयले की टोकरी लिए दाख़िल होती है। ]

ह्वीलर

[ परदा उठाकर ]

जब तुम कल चली गईं, तो वह तुम्हारा निखट्ट शौहर तुम्हारी टोह में चक्कर लगा रहा था। मैं समझती हूँ, शराब के लिए तुमसे रुपया मांँग रहा था। वह आध घंटे तक यहाँ कोने में पड़ा रहा। जब मैं कल रात को डाक लेने गई तो मैंने उसे होटल के बाहर खड़े देखा। अगर तुम्हारी जगह में होती, तो कभी [ १० ]उसके साथ ने रहती। मैं कभी ऐसे आदमी के साथ न रहती, जो मुझ पर हाथ साफ़ करता। मुझसे यह बरदाश्त ही न होता। तुम लड़कों को लेकर क्यों नहीं उसे छोड़ देती हो? अगर तुम यह बरदाश्त करती रहोगी, तो वह और भी सिर चढ़ जायगा। मेरी समझ में नहीं अाता, कि महज़ शादी कर लेने से कोई आदमी क्यों तुम्हें दिक़ करे।

मिसेज़ जोन्स

[ काली आँखें और काले बाल, चेहरा अण्डाकार, आवाज़ चिकनी, नर्म और मीठी। सूरत से सहनशील मालूम होती है। उदासी से बातें करती है। वह नीले रंग का कपड़ा पहिने हुए है और उसके जूते में सूराख़ हैं। ]

वह आधी रात को घर आया और अपने होश में न था। उसने मुझे जगाया और पीटने लगा। उसे सिर पैर की कुछ ख़बर ही नहीं मालूम होती थी। मैं उसे छोड़ना तो चाहती हूँ, मगर डरती हूँ, न मालूम मेरे [ ११ ]साथ क्या करे। जब वह नशे में होता है, तो उसके क्रोध का वारापार नहीं रहता।

ह्वीलर

तुम उसे क़ैद क्यों नहीं करा देतीं? जब तक तुम उसे बड़े घर न पहुँचा दोगी, तुम्हें चैन न मिलेगा। अगर मैं तुम्हारी जगह होती, तो कल ही पुलीस में इत्तला कर देती। वह भी समझता कि किसी से पाला पड़ा था।

मिसेज़ जोन्स

हाँ मुझे जाना तो चाहिए, क्योंकि जब वह नशे में होता है तो मेरे साथ बुरी तरह पेश आता है। लेकिन बहिन! बात यह है कि उन्हें आजकल बड़ा कष्ट है।---दो महीने से घर बैठे हुए हैं। और यही फ़िक्र उन्हें सता रही है। जब कहीं मजूरी लग जाती है, तब वह इतना उजडुपन नहीं करते। जब ठाले बैठते हैं तभी उनके सिर भूत सवार होता है। [ १२ ]

ह्वीलर

अगर तुम हाथ पैर न हिलाओगी, तो उससे गला न छूटेगा।

मिसेज़ जोन्स

अब यह दुर्गति नहीं सही जाती; मुझे रात-रात भर जागते गुज़र जाती है। और यह भी नहीं है कि कुछ कमाकर लाता हो क्योंकि घर का सारा बोझ मेरे सिर है। ऐसी-ऐसी गालियाँ देता है, क्या कहूँ। कहता है कि तू शुहदों को साथ लिये फिरती है। बिलकुल झूठी बात है, मुझसे कोई आदमी नहीं बोलता, हाँ, वह ख़ुद औरतो के पीछे पड़ा रहता है। उसकी इन्हीं सब बातों से मेरा जी जला करता है। मुझे धमकाता है, कि अगर तुमने मुझे छोड़ा तो सिर काट लूँगा। यह सब शराब और चिंता का फल है। हाँ, यों आदमी वह बुरा नहीं है। कभी-कभी वह [ १३ ]मुझसे मीठी-मीठी बातें करता है, लेकिन मैंने उसके हाथों इतने दुःख भोगे हैं कि उसकी मीठी बातें भी बुरी लगती हैं। मैं तो उसकी बातों का जबाब तक नहीं देती। जब नशे में नहीं होता, तो लड़कों से भी प्रेम करता है।

ह्वीलर

तुम्हारा मतलब है, जब वह नशे में होता है?

मिसेज़ जोन्स

हाँ

[उसी स्वर में।]

वह छोटे साहब सोफ़ा पर सोए हुए हैं।

[ दोनों चुपचाप जैक की तरफ़ ताकती हैं।]

मिसेज जोन्स

[ नर्म आवाज़ में। ]

मालूम होता है, नशे में हैं। [ १४ ]

ह्वीलर

शुहदा है, शुहदा, मुझे विश्वास है, कि तुम्हारे शौहर की तरह इसने भी रात को पी थी। इसकी बेकारी एक दूसरी ही तरह की है, जिसमें पीने ही की सूझती है। जाकर मारलो से कह आऊँ, यह उसका काम है।

[ वह चली जाती है ]

[ मिसेज़ जोन्स झुककर धीरे-धीरे झाड़ू देने लगती है।]

जैक

[ जाग कर। ]

कौन है? क्या बात है?

मिसेज़ जोन्स

मैं हूँ सरकार, मिसेज़ जोन्स।

जैक

[ठउ बैठता है, और चारों तरफ़ ताकता है। ]

[ १५ ]मै कहाँ हूं? क्या वक्त है?

मिसेज़ जोन्स

नौ का अमल होगा हुज़ूर। नौ

जैक

नौ! क्यों? क्या?

[ उठकर ज़बान चलाता है और सिर पर हाथ फेरकर मिसेज़ जोन्स की तरफ़ घूरकर देखता है। ]

देखो तुम मिसेज़ जोन्स, यह न कहना कि तुमने मुझे यहाँ सोते पाया।

मिसेज़ जोन्स

न कहूँगी, न कहूँगी सरकार।

जैक

इत्तफ़ाक की बात है! मुझे याद नहीं आता कि मैं यहाँ कैसे सो गया। शायद मैं चारपाई [ १६ ]पर जाना भूल गया। अजीब बात है। मारे दर्द के सिर फटा जाता है। देखो मिसेज़ जोन्स, किसी से कुछ कहना मत।

[ बाहर जाता है ड्योढ़ी में मारलो से मुठभेड़ होती है। मारलो जवान और गंभीर है। उसकी डाढ़ी मूँछ साफ़ है, और बाल माथे की तरफ़ से कंघी करके मुरगे की कलगी की तरह ऊपर उठा दिए गए हैं। है तो वह ख़ानसामा, लेकिन अच्छे चाल चलन का आदमी है। वह मिसेज़ जोन्स को देखता है, और ओंठ दबाकर मुसकुराता है। ]

मारलो

पहिली बार नहीं पी है, और न अंतिम बार ही है। ज़रा कुछ बौखलाया हुआ मालूम होता था क्यों मिसेज़ जोन्स?

मिसेज़ जोन्स

अपने होश में न थे, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। [ १७ ]

मारलो

तुम्हारी तो आदत पड़ी हुई है। तुम्हारे शौहर का क्या हाल है?

मिसेज़ जोन्स

[ नर्म आवाज़ से ]

कल रात को तो उन की हालत अच्छी न थी। कुछ सिर पैर की ख़बर ही न थी। बहुत रात गए आए, और गालियाँ बकते रहे। लेकिन इस वक़्त सो रहे हैं।

मारलो

इसी तरह मज़दूरी ढूॅंढ़ी जाती है, क्यों?

मिसेज जोन्स

उनकी आदत तो यह है, कि रोज़ सवेरे काम की तलाश में निकल जाते हैं। [ १८ ]और कभी-कभी इतने थक जाते हैं कि घर आते ही गिर पड़ते हैं। भला यह कैसे कहूँ कि वह काम नहीं खोजते। ज़रूर खोजते हैं। रोजगार मंदा है।

[ वह टोकरी और झाड़ू सामने रक्खे चुप चाप खड़ी हो जाती है। ज़िन्दगी की अगली पिछली बातें किसी वन्य दृश्य की भाँति उसकी आखों के सामने आने लगती है, और वह उन्हें स्थिर, उदासीन नेत्रों से देखती है। ]

लेकिन मेरे साथ वह बुरी तरह पेश आते हैं। कल रात उन्हों ने मुझे पीटा और ऐसी ऐसी गालियां दीं कि रोंगटे खड़े होते हैं।

मारलो

बैंक की छुट्टी थी, क्यों? उसे होटल का चस्का पड़ गया है। यही बात है। मैं उसे रोज़ बड़ी रात तक कोने में बैठे देखता हूँ। वहीं

फिरा करता है। [ १९ ]

मिसेज़ जोन्स

काम की खोज में दिन भर दौड़ते-दौड़ते बहुत थक जाते हैं। और कहीं कोई दूसरा रोज़गार भी नहीं मिलता, इसलिए अगर एक घूँट भी पी लेते हैं, तो सीधे दिमाग़ पर चढ़ जाती है। लेकिन जिस तरह वह मेरे साथ पेश आते हैं, उस तरह अपनी बीबी के साथ न पेश आना चाहिए। कभी-कभी तो वह मुझे घर से निकाल देते हैं। और मैं सारी रात मारी-मारी फिरती हूँ। वह मुझे घर में घुसने भी नहीं देते। पीछे से पछताते हैं। और वह मेरे पीछे-पीछे लगे रहते हैं, गलियों में मुझ पर ताक लगाए रहते हैं, उन्हें ऐसा न चाहिए, क्योंकि मैंने कभी उनके साथ दगा नहीं की। और मैं उन से कहती हूँ, कि मिसेज़ बार्थिविक को तुम्हारा आना अच्छा नहीं लगता। लेकिन इस पर उन्हें क्रोध आ जाता है, और वह अमीरों को गालियाँ देने लगते हैं। उनकी नौकरी भी इसी [ २० ]वजह से छूटी, कि वह मुझे बुरी तरह सताते थे। तबसे वह अमीरों के जानी दुशमन हो गये हैं। उन्हें देहात में सईसी की अच्छी जगह मिल गई थी। लेकिन जब मुझे मारने-पीटने लगे, तो बदनाम हो गए।

मारलो

सज़ा हो गई?

मिसेज़ जोन्स

हां; मालिक ने कहा, मैं ऐसे आदमी को नहीं रक्खूँगा, जिसकी लोग इतनी निन्दा करते हैं। उसने यह भी कहा कि इसकी देखादेखी और लोग भी ऐसा ही करेंगे। लेकिन यहाँ का काम

छोड़ दूँ तो मेरा निबाह न हो। मेरे तीन बच्चे हैं। और मैं नहीं चाहती कि वह मेरे पीछे-पीछे गलियों में घूमें और शोर ग़ुल मचाएँ। [ २१ ]

मारलो

[ खाली बोतल को ऊपर उठाकर ]

एक बूंद भी नहीं! अगर अबको तुम्हें मारे, तो एक गवाह लेकर सीधे कचहरी चली जाना।

मिसेज़ जोन्स

हाँ मैंने ठान लिया है। ज़रूर जाऊँगी।

मारलो

हूँ! सिगरेट की डिबिया कहाँ है ?

[ वह चांदी की डिबिया ढूंढता है । मिसेज़ जोन्स की तरफ देखता है, जो हाथों और घुटनों के बल झाडू दे रही है, वह रुक जाता है, और खड़ा-खड़ा कुछ सोचने लगता है। वह तश्तरी में से दो अधजले सिगरेट उठा लेता है, और उनके नाम पढ़ता है। ]

नेस्टर---डिबिया कहाँ चली गई?

[ वह विचारपूर्ण भाव से फिर मिसेज़ जोन्स को देखता है, और जैक का ओवरकोट लेकर जेबें टटोलता है। ह्वीलर नाश्ते की तश्तरी लिए आती है। ] [ २२ ]

मारलो

[ ह्वीलर से अलग ]

तुमने सिगरेट की डिबिया देखी है?

हीलर

नहीं।

मारलो

तो वह गा़यब हो गई। मैंने रात उसे तश्तरी में रख दिया था, और उन्होंने सिगरेट पिया भी।

[ सिगरेट के जले हुए टुकड़े दिखाकर ]

इन जेबों में नहीं है। आज ऊपर कब ले गए? जब वह नीचे आयें तो उनके कमरे में खूब तलाश करना। यहाँ कौन-कौन आया था?

हीलर

अकेली मैं और मिसेज़ जोन्स। [ २३ ]

मिसेज जोन्स

यह कमरा तो हो गया, क्या बैठक भी साफ़ कर लूँ?

ह्वीलर

[ उसे सन्देह से देखकर ]

तुमने देखा है? पहिले इस छोटी कोठरी को साफ़ कर दो।

[ मिसेज़ जोन्स टोकरी और ब्रुश लिए बाहर चली जाती है, मारलो और ह्वीलर एक दूसरे के मुँह की ओर ताकते हैं ]

मारलो

पता तो चल ही जायगा।

ह्वीलर

[ हिचकिचाकर ]

ऐसा तो नहीं हुआ है कि उसने---

[ द्वार की ओर देखकर सिर हिलाती है। ] [ २४ ]

मारलो

[ दृढ़ता से ]

नहीं, मैं किसी पर संदेह नहीं करता।

हीलर

लेकिन मालिक से तो कहना ही पड़ेगा।

मारलो

जरा ठहरो, शायद मिल ही जाय, हमें किसी पर संदेह न करना चाहिए। यह बात मुझे पसन्द नहीं।

परदा गिरता है।

तुरन्त ही फिर परदा उठता है।