दृश्य-दर्शन/बलगारिया।

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दृश्य-दर्शन  (1928) 
द्वारा महावीर प्रसाद द्विवेदी
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बलगारिया।

यूरप के दक्षिणी भाग में बालकन नाम का एक प्रायद्वीप है। यह प्रदेश कई छोटे छोटे राज्यों में विभक्त है। उनके नाम हैं-ग्रीस, सर्विया, बलगारिया, बासनिया, हर्जगोबिना, रोमानिया और अलबानिया। टर्की का जो भाग योरप में है वह भी इसी के अन्तर्गत है। पहले ये सब टर्की के आधीन थे। किन्तु धीरे धीरे ये स्वतन्त्र हो गये हैं। बासनिया और हर्जगोविना को आस्ट्रिया ने छीन लिया है। अलबानिया में अराजकता है। अन्य राज्य सुधरी हुई राजतन्त्र-प्रणाली से शासित होते हैं। इन राज्यों में ईसाई,मुसल्मान और यहूदी सभी धर्मों के अनुयायियों का निवास है।

बलगारिया को टर्की से स्वतन्त्र हुए, अभी बहुत समय नहीं हुआ। तथापि इतने ही समय में उसने बहुत उन्नति कर ली है। बलगारिया का राज्य टर्की के उत्तर है। उसका क्षेत्र-फल कोई ३८ हज़ार वर्ग

मील और आबादी कोई ५० लाख है। [ १४९ ]
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बलगारिया ने व्यापार-व्यवसाय,कृषि,शिल्प,उद्योग-धन्धा,शिक्षा आदि की खूब उन्नति की है। राज्य बारह विभागों में विभक्त है। हर विभाग के शासन के लिए एक एक अफसर नियत है। वह मन्त्रिमण्डल की सम्मति से नियुक्त किया जाता है। समग्र देश- शासन के लिए वहां एक सभा है । प्रजा के चुने हुए मुखिये उसके मेम्बर होते हैं। वही कानून बनाते हैं। वही राज्य सञ्चालन की प्रधान व्यवस्था करते हैं। उन्हीं के बनाये हुए नियम और कानून जारी होते हैं। राजकीय प्रबन्ध के लिए आठ मन्त्रियों की एक कौंसिल है। प्रजा के प्रतिनिधियों की सूचना और सम्मति के अनुसार यही कौंसिल राज्य-प्रबन्ध-सम्बन्धी सारा काम करती है।

बलगारिया के अधिकांश निवासी कृषिजीवी हैं। प्रायः सारा कृषि-कार्य कृषक के कुटुम्बियों ही को करना पड़ता है। किन्तु वे लोग शिक्षा का महत्व समझते हैं। इस कारण बड़ी खुशी से वे अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं। सारडोवो और रोस्वाउक नगरों में एक एक कृषि-विद्यालय है। इन विद्यालयों में कृषि-सम्बन्धी हर प्रकार की उपयोगिनी शिक्षा दी जाती है। इसके अतिरिक्त फिलिपोपोलिस नगर में कृषि-विषयक एक बड़ा स्कूल भी है। बलगारिया में पादड़ी लोग और देहाती स्कूलों के अध्यापक भी कृषि की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाध्य किये जाते हैं। फल यह हुआ है कि देश में कृषि बहुत अच्छी दशा में है।

बलगारिया की राजधानी सोफ़िया में एक बड़ा विश्वविद्यालय है। उसमें ऊँचे दर्जे की शिक्षा दी जाती है। १७०० युवक और ३०० [ १५० ]
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युवतियां उसमें शिक्षा ग्रहण करती हैं। उसमें लगभग ६० अध्यापक शिक्षादान का कार्य करते हैं। देश के समग्र शिक्षालयों की संख्या ५,४५० है। उनमें कोई १३,५०० अध्यापक काम. करते हैं। सब विद्यार्थियों की संख्या ५,३०,००० है। उनमें से २,१५,००० लड़- कियाँ हैं।

सोफ़िया और फिलिपोपोलिस में दो बड़े बड़े पुस्तकालय हैं। उनमें सब प्रकार की उत्तमोत्तम पुस्तकों का संग्रह है । इसके अतिरिक्त देश में कोई एक हज़ार के ऊपर वाचनालय हैं। बड़े बड़े नगरों के मुख्य मुख्य स्थानों में व्याख्यान-भवन भी हैं। उनमें अच्छे अच्छे व्याख्यान-दाताओं के व्याख्यान हुआ करते हैं। सर्व साधारण इन्हें बड़ी श्रद्धा से सुनते हैं।

जैसा ऊपर कहा जा चुका है, भारतवर्ष की तरह बलगारिया भी कृषि प्रधान देश है। वहां के अधिकांश निवासी खेती ही का काम करते हैं। प्रत्येक मनुष्य अपने खेत का कब्जेदार समझा जाता है।

वह अपनी खेती को पैदावार का दसवां हिस्सा कर के तौर पर राज्य को देता है। कर न अदा कर सकने की हालत में वह ज़मीन से बे-दखल किया जा सकता है। कृषकों के सुभीते के लिए बलगारिया में कृषि-सम्बन्धी एक बैंक है। देश भर में उसको शाखायें खुली हुई हैं। उनके द्वारा किसानों को कृषि के लिए आसानी से रुपया मिल जाता है। बलगारिया में गेहूं,धान,मक्का, जौ, बाजरा, ज्वार अधिक पैदा होता है। तम्बाकू, चुकन्दर और गुलाब की भी खेती वहां होती है। इन सब चीज़ों का चालान विदेश को होता है । गुलाब के फूलों [ १५१ ]
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से वहां इत्र बनता है। कोई ४० मन फूलों से आध सेर इत्र तैयार होता है। इन बड़ा बढ़िया होता है। वह पेरिस और लन्दन जाता है, जहाँ उससे अनेक प्रकार के इत्र और तेल आदि बनते हैं।

बलगारिया के मनुष्यों की रहन-सहन बहुत सीधी-सादी है। वे अपने घरों ही के बुने हुए मोटे कपड़े पहनते हैं। वे शौकीन नहीं। फिजूल चीजों के लिए वे अपना धन लुटाना उचित नहीं समझते । अमीर आदमी तक छोटे छोटे घरों में रहते हैं। घरों का फ़र्श मिट्टी ही का होता है। उन्हें चटक मटक विलकुल पसन्द नहीं । बलगा- रिया के निवासी अपनी इस स्थिति से यथेष्ट सन्तुष्ट रहते हैं। यही कारण है जो वे सर्वदा प्रसन्न और हृष्ट-पुष्ट देख पड़ते हैं। मितव्यय करने के कारण वे हर साल कुछ न कुछ रुपया बचा लेते हैं।

बलगारिया वाले भले-बुरे काम का अच्छा ज्ञान रखते हैं। आप किसी से कोई अनुचित काम करने के लिए कहें तो वह फौरन जवाब देगा कि वैसा करने के लिए उसकी आत्मा गवाही नहीं देती ; वैसा करना उसके लिए लज्जाजनक है। वह अपना समय व्यर्थ वाद-विवाद और भले-बुरे की व्याख्या में न वितायेगा।

बलगारिया में अनेक जातियों और धर्मों के मनुष्यों का निवास है। वे सभी अपने अपने विश्वास के अनुसार धर्माचरण करने के लिए स्वतन्त्र हैं। कभी किसी के धर्माचरण में किसी प्रकार का आघात नहीं होता। बलगारिया के अधिकांश निवासी आरथोडाक्स चर्च नामक ईसाई सम्प्रदाय के अनुयायी हैं। इस सम्प्रदाय के प्रधान

पादरी सर्वसाधारण प्रजा के द्वारा चुने जाते हैं। [ १५२ ]
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बलगारिया में लड़कों और लड़कियों के विवाह का समय नियत है। विवाह के समय लड़के की उम्र १९ और लड़की की १७ साल से कम न होनी चाहिए। विवाह का सारा कार्य वहां के पुरोहितों और धर्म-याजकों द्वारा सम्पन्न होता है। धर्म-याजक और पुरोहित ही पति-पत्नी के त्याग के मुक़दमों का भी विचार करते हैं। बलगारिया के स्त्री-पुरुष कपटप्रेम करना बहुत कम जानते हैं। पत्नी के अधिकारों पर पति आघात नहीं करता ; पत्नी भी पति ही की हर प्रकार सहायता करती है। इसी से पति-पत्नी में तलाक देने की नौबत बहुत कम आती है।

साधारण जीवन व्यतीत करने पर भी बलगारिया के निवासियों की तन्दुरुस्ती अन्य देशों के निवासियों की तन्दुरुस्ती से अच्छी है। उनका शरीर खूब दृढ़ और श्रमसहिष्णु होता है। रोग उन्हें कम सताता है।

बलगारिया की राजधानी सोफ़िया बहुत सुन्दर और मनोरम नगर

है। बलगारिया के स्वतन्त्र होने के पहले वह बड़ी बुरी दशा में था। उसकी आबादी उस समय केवल २० हज़ार थी। उसकी गलियां तंग और गन्दी थीं। चौड़ी सड़कें बहुत कम थीं। किन्तु अब इस नगर की काया ही पलट गई है। अब तो इसकी आबादी कोई १,२५,००० है। चौड़ी चौड़ी सड़कें और साफ सुथरी गलियों इसकी शोभा को बढ़ा रही हैं। इसके अनेक दर्शनीय और विशाल भवनों की निराली छटा दर्शक के मन को मोह लेती है। राजकीय भवन, बड़ा पोस्ट-आफिस, जातीय नाटक-भवन, युद्ध का दफ्तर, नेशनल बैंक, विलियम [ १५३ ]
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ग्लैंडस्टन हाई स्कूल,ग्रैंड होटल,जातीय कृषि-बैंक आदि अनेक विशाल इमारने यहाँ अब शोभायमान हैं। नगर में रेल,तार,टेलि- फोन,मोटरकार,ट्रामवे,जल-कल और बिजली की रोशनी आदि का बहुत उत्तम प्रबन्ध है।

बलगारिया बहुत छोटा राज्य है। उसकी आबादी और उसका क्षेत्र- फल बहुत कम है। फिर भी उसकी सेना-संख्या कोई चार पांच लाख है।

[जनवरी १९१६