( ११७ ) को अपने अधीन किया था। यह कुंतल देश कर्नाटक देश और कदंब राज्य का एक अंग था और इस कदंव राज्य के संबंध की बातें हम आगे चलकर बतलावेंगे। पृथिवीपेण प्रथम के पुत्र रुद्र- सेन द्वितीय का विवाह चंद्रगुप द्वितीय विक्रमादित्य की कन्या से हुआ था जिसका नाम प्रभावती गुप्त था। इस प्रभावती गुप्त का जन्म सम्राज्ञी कुबेर नागा के गर्भ से हुआ था जो नाग वंश की राजकुमारी थी। जब प्रभावती गुप्त के पति रुद्रसेन द्वितीय की मृत्यु हुई, तब वह अपने अल्पवयस्क पुत्र युवराज दिवाकरसेन की अभिभावक बनकर राज्य का शासन करती थी। जिस समय राजमाता प्रभावती गुप्र ने पूनावाले दानपत्र प्रस्तुत किए थे, उस समय उसके पुत्र दिवाकरसेन की अवस्था तेरह वर्ष की थी। दिवाकरसेन के उपरांत उसका जो दूसरा पुत्र दामोदरसेन-प्रवरसेन गद्दी पर बैठा था, उसके अभिभावक के रूप में भी प्रभावती ने कुछ दिनों तक शासन किया था। इस दामोदरसेन-प्रवरसेन ने भी ह वर्ष की अवस्था में एक घोषणापत्र निकाला था जो हम लोगों को मिला है । इस दोहरे नाम दामोदरसेन-प्रवरसेन से सिद्ध होता है कि इन राजाओं में दो नाम रखने की प्रथा थी। एक नाम तो राज्याभिषेक से पहले का होता था और दूसरा नाम राज्याभिषेक के समय रखा जाता था. जिसे चंपा ( कंबोडिया) के शिलालेख में अभिषेक-नाम कहा गया है। इसी प्रकार गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय के भी दो नाम थे-एक देवगुप्त और दूसरा चंद्रगुप्त । दामोदरसेन-प्रवरसेन ने २५ वर्ष की अवस्था में राज्याधिकार १. पूने के दूसरे प्लेट । I. A. ५३, पृ० ४८. २. डा० श्रार० सी० मजुमदार कृत Champa ( चंपा ) नामक अँगरेजी ग्रंथ, पृ० १५७ । ३. J. B. O. R. S. खंड १८, पृ० ३८ ।
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