(१३०) की स्थापना नहीं की थी तो वह कम से कम विध्यशक्ति की स्थापित की हुई अवश्य थी (६२४ पाद-टिप्पणी)। आजकल गंज-नचना नाम का जो पुराना और किले- राजधानी बंदी वाला कसबा है, वही मेरी समझ में पुराना चनका या कांचनका नाम का स्थान है जहाँ वाकाटक लोग राज्य करते थे। वह सामरिक दृष्टि से जिस स्थान पर और जिस ढंग से बना है, उससे यही सूचित होता है कि वह किसी नवीन शक्ति का बनवाया हुआ था और नवीन धारण किए हुए 'विंध्यशक्ति' नाम की भी इससे सार्थकता हो जाती है, जिससे सूचित होता है कि विंध्य ही उसकी वास्तविक शक्ति थी। जनरल कनिंघम ने गंज-नचना की स्थिति का जो वर्णन किया है, वह इस प्रकार है- "नाचना नाम का छोटा गाँव गंज नामक कसबे के पश्चिम में दो मील की दूरी पर है और यह गंज कसबा पन्ना से दक्षिण पूर्व २५ मील और नागौद से दक्षिण-पश्चिम १५ मील की दूरी पर "जिस स्थान को नचना कहते हैं, वह बहुत सी ईंटों से ढका हुआ है; और गंज से नचना को जो सड़क जाती है, उस पर ईंटों की बनी हुई इमारतों के बहुत से खंडहर हैं। लोग कहते हैं कि कूथन (नचना के किले का पुराना नाम ) प्राचीन काल में बहुत बड़ा नगर था और वहाँ उस देश के राजा की राज- धानी थी । नचना वाले स्थान को लोग अब तक खास कूथर कहते हैं। .... 'यह भी कहा जाता है कि कूथर के किले से सतना या गोरेना नाला तक एक सुरंग है। यह नाला नचना से होता हुआ बहता है और गंज से ११ मील दक्षिण-पश्चिम कियान या केन नदी में मिलता है। यह स्थान एक घाटी के द्वार पर पड़ता है और बाहरी आक्रमण के समय पूर्व, पश्चिम और दक्षिण की
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