पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१६५

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(१३५) शेष वाकाटकों के सिक्के नहीं हैं। ६ ६१ क. मिलान के सुभीते के लिये मैं वे सब वाका- टक अभिलेख, जो अब तक प्रकाशित वाकाटक शिलालेख हो चुके हैं, काल-क्रम के अनुसार लगाकर नीचे दे देता हूँ। पृथिवीपेण प्रथम-(क, ख, ग ) पत्थर पर खुदे हुए तीन छोटे उत्सर्ग संबंधी लेख । तीनों का विषय एक ही है। पृथिवी- पेण प्रथम के शासनकाल में व्याघ्रदेव ने नचना और गंज में जो मंदिर बनवाए थे, उन्हों के निर्माण का इनमें उल्लेख है। यह व्याघ्रदेव या तो पृथिवीपेण के परिवार का था अथवा उसका कोई कर्मचारी या करद राजा था। इन शिलालेखों पर राजकीय चक्र का चिह्न है । G. I. पृ० २३३ नं० ५३ और ५४ नचना का । E. I. खंड १७, १२ (गंज)। प्रभावतीगुप्ता-(घ) राजमाता प्रभावती गुप्ता (चंद्रगुप्त द्वितीय और महादेवी कुबेर नागाकी पुत्री) युवराज दिवाकरसेन की माता के अभिलेख पूनावाले प्लेट में हैं और जो १३ वें वर्ष में तैयार कराए गए थे। यह दान नागपुर जिले में नंदिवर्धन ने किया था (E. I. १५, ३६)। प्रवरसेन द्वितीय-(ङ) प्रवरसेन द्वितीय के चमकवाले प्लेट । यह रुद्रसेन द्वितीय और प्रभावती गुप्ता का पुत्र था और प्रभावती गुप्ता देवगुप्त की कन्या थी। ये प्लेट १८ वें वर्ष में प्रवरपुर में तैयार हुए थे। ये प्लेट बरार के एलिचपुर जिले के चमक नामक स्थान में मिले थे और भोज कट राज्य के चमक (चर्नाक) नामक स्थान से संबंध रखते हैं (G. I. पृ० २३५)।