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पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/१८५

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(१५५) मालव' । इन सभी प्रांतों के संबंध में पुराणों में यह बतलाया गया है कि इनमें कौन कौन से शासक थे और उन्होंने कुल कितने दिनों तक शासन किया था, जिसका अभिप्राय यही होता है कि इनका अंत भी वाकाटक-साम्राज्य-काल के अंत के साथ ही साथ अर्थात् समुद्रगुप्त की विजय के समय पाकर होता है। ६७३. क-इन चार प्रांतीय राजवंशों में से मेकला में शासन करने वाले राजवंश को वायु- वाकाटक प्रांत, मेकला पुराण में विशेष रूप से विध्यकों के वंशजों अादि का वंश कहा गया है । यथा- मेकलायाम् नृपाः सप्त भविष्यन्तीः सन्ततिः । भागवत में और विष्णुपुराण की कई प्रतियों में भी मेकल के इन राजाओं को, जिनकी संख्या सात थी, सप्तांध्र या १ बालाघाट के प्लेट E. I. खंड ६, पृ० २७१ । प्रो. कील हान ने समझा था कि कोसला और मेकला रूप अशुद्ध हैं और इसीलिये उन्होंने इनके स्थान पर कोसला और मेकल शब्द रखे थे । परंतु पुराणों के मूल पाठ से सूचित होता है कि शिलालेखों में इन शब्दों के जो रूप दिए हैं, वही ठीक हैं और वाकाटकों के समय में इनके यही नाम थे। २. P. T. पृ. ५१, टिप्पणी १७ । अधिकांश हस्तलिखित प्रतियों और उन सब प्रतियों में, जिन्हें विलसन और हाल ने देखा था, यही पाठ मिलता है। (V. P. ४, पृ० २१४-१५.) इनका सत्तमाः पाठांतर अशुद्ध और निरर्थक है।