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( २०६) राजा की राजधानी में अवश्य कुछ दान-पुण्य किया होगा; और उस दशा में यह वही व्याघ्रदेव हो सकता है जिसके तीन शिलालेख गंज और नचना में मिले हैं। पर हाँ, इस समय जो मामग्री उपलब्ध है, केवल उसी के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि ये दोनों व्यक्ति एक ही थे। पर यदि वे दोनों एक ही हों तो फिर जयनाथ के दिए सन् २४८ ई० वाले संवत् के ही होने चाहिएँ । वर्ष