पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२४४

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(२१४ ) कहलाते थे। इस प्रकार मद्रक समाज' कई उप-विभागों के योग से बना था जिनमें शाल्व और यी अथवा जार्तिक लोग भी थे जिन्हें हम आजकल "जाट" कहते हैं और साथ ही कई दूसरे उप-विभाग भी थे अब हम यहाँ पाठकों को चंद्रगोमिन् के व्याकरण का वह उदाहरण स्मरण कराते हैं जिसमें कहा गया है-"जात ( राजा) ने हूणों को परास्त किया।" यहाँ जात शब्द से मुख्यतः स्कंदगुप्त का अभिप्राय है । इस प्रकार हमें कई भिन्न भिन्न साधनों से इस एक ही बात का पता चलता है कि गुप्त लोग कारस्कर जाट थे, जो पंजाब से चलकर आए थे। मेरी समझ में आज-कल के कक्कड़ जाट उसी मूल समाज के प्रतिनिधि १. रोज-कृत Glossary of Punjab Tribes and Castes १. ५६. ग्रियर्सन-कृत Linguistic Survey of India, खंड ६, भाग ४, पृ० ४. पाद ८. महाभारत, फर्ण पर्व (श्लोक २०३४.) २. मद्रक के संबंध में देखो मेरा लिखा हिंदू राज्यतंत्र, पहला भाग. पृ० १६६-१६७. इसका अर्थ होता है-'मद्र राज्य का निष्ठ नागरिक" । ३. Gupta Inscriptions, पृ० ५४, (पं० १५); पृ० . ५६ पं०४), दो अभिलेखों (भीतरी और जूनागढ़वाले) में एक प्रसिद्ध और निर्णयक युद्ध का वर्णन है। परन्तु यशोवर्मन् ने कश्मीर पर केवल चढ़ाई की थी, (Gupta Inscription, पृ० १४७, पं०६) और यशोधर्मन् की अधीनता हूणों ने बिना किसी युद्ध के ही स्वीकृत कर ली थी। ४. मिलाश्रो रोज कृत Glossary २. २६३, पाद-टि० । इस नाम का उच्चारण 'कक्कड' भी होता है।