पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२८४

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( २५६) हम यह मान लें कि कांची और एरंडपल्ली दोनों मिलकर एक ही थीं और एक ही स्थान पर थीं, तभी यह कथन संगत हो सकता है। इसके उपरांत आवमुक्त या अवमुक्त के शासक का नाम आया है। श्राव देश अथवा आव लोगों की राजधानी गोदावरी के पास पिठुड में थी। प्राव और पिठुड का नाम हाथीगुम्फावाले शिलालेख में आया है । इसके उपरांत वेंगी के शासक का नाम आया है और इस वेंगी प्रदेश को समुद्रगुप्त ने पहले ही महाकांतार से कुराल की ओर जाते समय पार किया था। यदि यह मान लिया जाय कि समुद्रगुप्त कांची गया था, तो वह रास्ते में बिना वेंगी के शासक का मुकाबला किए किसी तरह कांची पहुँच ही नहीं सकता था। और यह इस बात का एक और प्रमाण है कि ये सभी लड़नेवाले एक ही स्थान पर एकत्र हुए थे। जैसा कि अभी ऊपर बतलाया जा चुका है, पलक्क वही स्थान है जहाँ से प्रारंभिक पल्लवों ने गंटूर जिले में और बेजवादा के आस-पास कई जमीनें दान की थीं । दानपत्रों में जो "पलक्कड" शब्द आया है, वह इसी पलक्क का दूसरा रूप है। यह नगर कृष्णा नदी के कहीं पास ही आंध्र देश में था। इसके बादवाले शासक के स्थान का नाम देवराष्ट्र आया है और इससे भी यही सिद्ध होता है कि वे सब राजा लोग एक ही स्थान पर एकत्र हुए थे। चालुक्य भीम प्रथम के एक ताम्रलेख के अनुसार यह देवराष्ट्र एलमंची कलिंग देश (आधुनिक येलमंतिल्ली) का एक जिला (विषय) १. एपि० इं०, २०, ७६, पंक्ति ११ और वि० उ० रि० सो० का जरनल, खंड १४, पृ० १५१ । २. Madras Report on Epigrapy, १६०६, पृ० १०८-१०६ ।