पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/२९०

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( २६२) पतिव्रता पत्नी ने पूर्ण रूप से सहगमन करके उसकी चिता पर आरोहण किया था। ६ १३६. रुद्रसेन युद्धक्षेत्र में समुद्रगुप्त से परास्त हुआ था और मारा गया था । समुद्रगुप्त के शिलालेख में जितने राजाओं के नाम आए हैं, उनमें एक यह रुद्र ही ऐसा राजा रुद्रदेव है जिसके नाम के अंत में "देव' शब्द मिलता है, और हम यह मान सकते हैं कि रुद्र के नाम के साथ यह "देव" शब्द जान-बूझकर जोड़ा गया था। उस समय रुद्रसेन भारत में सबसे बड़ा राजा था और वह अपने उस प्र-पिता का उत्तराधिकारी हुआ था जो सारे भारतवर्प का एक वास्तविक सम्राट रह चुका था। रुद्रसेन के नाम के अंत में जो 'सेन' शब्द है, वह वास्तव में नाम का कोई अंश नहीं है। जैसा कि हम ऊपर बतला चुके हैं, यह “सेन" शब्द कभी तो नाम के अंत में जोड़ दिया जाता था और कभी छोड़ दिया जाता था। उदाहरण के लिये हम नेपाल के शिलालेख ले सकते हैं जिनमें लिच्छवी राजा वसंतसेन का नाम कहीं तो वसंतसेन दिया है और कहीं वसंतदेव दिया है। "देव" शब्द अधिक महत्त्वसूचक है और इससे पूर्ण राजकीय पद का बोध होता है। ऊपर हमने जो वंशावली दी है, उसमें कहा गया है कि रुद्रदेव ने सन् ३४४ ई० में राज्यारोहण किया था, और समुद्रगुप्त की विजयों के संबंध में सभी लोगों का यह एक मत है कि वे सन् ३४५ ई० से ३५० ई० तक हुई थीं। इस प्रकार यह सिद्ध हो जाता है कि शिलालेखवाला रुद्रदेव वही रुद्रसेन प्रथम ही है ( देखो ३ ६४ )। १. फ्लीट कृत Cupta Inscriptions, पृ०६२ ।