पृष्ठ:अंधकारयुगीन भारत.djvu/३३८

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(३१०) यही विशेषताएँ दिखाई देती हैं। पल्लव शिलालेखों के अनुसार यह मुंडराष्ट्र आंध देश का एक प्रांत था'। $ १६१. ये चुटु राजा, जिन्हें पुराणों में भृत्य आंध्र कहा गया है, साम्राज्य-भोगी आंत्रों की एक शाखा के ही थे और इन्हीं के द्वारा हमें सातवाहनों की जाति चुटुलोग और सात का भी कुछ पता चल सकता है। मैंने वाहनों की जाति-मल एक दूसरे स्थान पर' यह बतलाया है वल्ली शिलालेख कि साम्राज्य-भोगी आंध्र ब्राह्मण जाति के थे। इस शाखा-कुल के वर्णन से इस मत की और भी पुष्टि होती है। उनका गोत्र मानव्य था जो केवल. ब्राह्मणों का ही गोत्र होता है; और चुटु राजाओं के बाद भी यह बात मानी जाती थी कि वे ब्राह्मण थे। मैसूर के शिमोगा जिले में मलवल्ली नामक स्थान में शिव का एक मंदिर था जिसमें स्थापित मूर्ति का नाम मट्टपट्टि-देव था। इस मंदिर में एक चुटु-राजा ने कुछ जागीर चढ़ाई थी और उसे ब्रह्म-देय के रूप में एक ब्राह्मण को दान कर दिया था, जिसका नाम हारितीपुत्र कोंडमान था और जो कौंडिन्य - गोत्र का था। इस दान का उल्लेख एक छः-पहलू खंभे पर अंकित है जो मलवल्ली १. मुडानंद का सिक्का, नं० २६६ इसी वर्ग का है। जान पड़ता है कि इसका संबंध मुडराष्ट्र से था और मुंडराष्ट्र का नाम पल्लव शिला- लेखों में श्राया है । (एपि० ई०८, १५६) चुटिया नागपुर की मुंडारी भाषा में मुंडा शब्द का अर्थ होता है-राजा । २. बि० उ० रि० सो० का जरनल, खंड १६, पृ० २६३-२६४ ।